Sep 26, 2023

41 साल का इंतजार खत्म, भारत ने इस खेल में जीता एशियाड गोल्ड

शिवम अवस्थी

लहराया तिरंगा

चीन में इन दिनों एशियन गेम्स चल रहे हैं और कई खेलों में मेडल जीतने पर भारतीय ध्वज वहां लहराता नजर आ रहा है। लेकिन इस तस्वीर में लहराता तिरंगा एक खास सफलता की वजह से है।

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घुड़सवारी में धमाल

भारत के चार घुड़सवारों ने एशियन गेम्स में जीत का परचम लहराया है।

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रचा नया इतिहास

भारत की ड्रेसेज टीम ने चीन के ग्वांग्झू में चल रहे एशियन गेम्स 2023 में घुड़सवारी में नया इतिहास रचा।

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41 साल बाद जीता गोल्ड मेडल

भारतीय ड्रेसेज टीम के चार घुड़सवारों ने 41 साल का सूखा खत्म करते हुए गोल्ड मेडल जीता है। ये दूसरी बार है जब एशियन गेम्स में ये कमाल हुआ है। भारत ने आखिरी बार 1982 दिल्ली एशियन गेम्स में घुड़सवारी में स्वर्ण पदक जीता था।

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जीत का जश्न

भारतीय घुड़सवारों ने इस ऐतिहासिक जीत के बाद कुछ इस तरह विक्ट्री लैप लिया।

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इन चार धुरंधरों को सलाम

भारत के इन चार धुरंधरों ने वो कमाल किया है जिसका इंतजार खेल प्रेमी 41 साल से कर रहे थे। आइए इनके बारे में जानते हैं।

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दिव्याक्रीति सिंह राठौड़

दिव्याक्रीति सिंह का जयपुर से आती हैं। उनका जन्म 22 अक्टूबर 1999 को हुआ था। वो दिल्ली यूनिवर्सिटी में भी पढ़ चुकी हैं।

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हृदय छेदा

भारत के 25 वर्षीय घुड़सवार हृदय छेदा मुंबई से आते हैं और उन्होंने यूरोप में भी घुड़सवारी की ट्रेनिंग ली है।

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अनुश अग्रवाला

अनुश का जन्म 23 नवंबर 1999 को कोलकाता में हुआ था। उन्होंने तीन साल की उम्र में घुड़सवारी शुरू कर दी थी और 17 की उम्र में पेशेवर बन गए थे।

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सुदीप्ति हजेला

इंदौर की रहने वाली 21 वर्षीय सुदीप्ति हजेला ने 6 साल की उम्र में घुड़सवारी सीखना शुरू कर दिया था। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तक सम्मानित कर चुके हैं।

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