Feb 18, 2023
करियर के नए विकल्पों में से एक है स्पेस साइंस। भारतीय व विदेशी अंतरिक्ष विज्ञान के कई दरवाजे युवाओं के लिए खुल रहे हैं।
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अंतरिक्ष विज्ञान वह शाखा है, जिसके अंतर्गत पृथ्वी से परे करोड़ों ग्रहों, उपग्रहों, तारों, धूमकेतुओं, आकाशगंगाओं एवं अन्य अंतरिक्षीय पिंडों का अध्ययन किया जाता है।
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स्पेस साइंस या स्पेस टेक्नोलॉजी के तहत एस्ट्रोनॉमी व एस्ट्रोफिजिक्सए प्रामेट्ररी एटमॉस्फियर और एयरोनॉमीए अर्थ साइंसेस और सोलर सिस्टम की पढ़ाई आती है।
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आज के दौर में स्पेस साइंस में कॉस्मोलॉजी, स्टेलर साइंस, प्लेनेटरी साइंस, एस्ट्रोनॉमी, एस्ट्रोलॉजी जैसी ब्रांच आती हैं। साइंस और इंजीनियरिंग की ये शाखाएं अंतरिक्ष से जुड़ी हैं।
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अंतरिक्ष विज्ञान में करियर के लिए सबसे पहले 11वीं कक्षा में गणित के अलावा 12वीं गणित में पास करने के बाद बीएससी की डिग्री लेनी होगी, जहां फिजिक्स और गणित विषय जरूरी हैं।
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साइंस से ग्रेजुएशन के बाद आप एस्ट्रोनॉमी थ्योरी या एस्ट्रोनॉमी ऑब्जर्वेशन कोर्स का चुनाव भी कर सकते हैं।
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एस्ट्रोनॉट यानी अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए कई गुण बहुत जरूरी है, उसमें से एक है आकाश में तारों के पैटर्न, उनकी हलचल आदि का अध्ययन करना।
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यह बहुत लंबा और समय लेने वाला पेचीदा काम है। इसलिए धैर्य इस पेशे का पहला व सबसे जरूरी गुण भी है। आपमें चीजों के प्रति साइंटिफिक एप्रोच के साथ प्रोग्रामिंग स्किल भी होनी चाहिए।
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अगली जरूरी विशेषता जिज्ञासु होने के साथ पूरे आत्मविश्वास और उत्साह से रहस्यमयी प्रश्नों के उत्तर तलाशने की है।
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अंतरिक्ष विज्ञान में एजुकेशन पूरा करने के बाद आप चाहें तो इसरो सहित किसी भी रिसर्च इंस्टीट्यूट में बतौर रिसर्च साइंटिस्ट काम कर सकते हैं।
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स्पेस साइंटिस्ट, क्वालिटी एश्योरेंस स्पेशलिस्ट, एस्ट्रोनॉमर, जियोलॉजिस्ट, एस्ट्रोफिजिसिस्ट, मैटेरियोलॉजिस्ट, रडार टेक्नीशियन, रोबोटिक टेक्नीशियन, सेटेलिट टेक्नीशियन।
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