Medha Chawla
Jan 6, 2025
इस जगह का नाम शायद आपने न सुना हो, लेकिन ठंड के मौसम में भिखना ठोरी किसी हिल स्टेशन से कम खूबसूरत नहीं होता। बिहार के पश्चिमी चंपारण में नेपाल की सीमा पर बसा ये गांव बेतिया जिला मुख्यालय से इसकी दूरी करीब 80 किलोमीटर है।
Credit: canva
सर्दियों के मौसम में भिखना ठोरी से हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियां का नजारा दिखता है। जंगल के बीच इस गांव के किनारे पंडई नदी बहती है और यहां ठहरने की कई जगहें हैं। जो इस परफेक्ट हनीमून डेस्टिनेशन बनाती हैं।
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भिखना ठोरी में ठहरने और घूमने की कई जगहें हैं ठोरी रिजॉर्ट, लक्ष्मण झूला, सफेद और लाल पहाड़ी, सीता गुफा और झील के किनारे टेंट हाउस जैसे कई आकर्षण हैं, जिनका आनंद लिया जा सकता है।
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जंगल सफारी के शौकीन कपल्स के लिए भिखना ठोरी शानदार जगह है। यहां से वाल्मीकि टाइगर रिजर्व काफी नजदीक है। साथ ही नेपाल का चितवन नेशनल पार्क भी यहां से करीब ही है।
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भिखना ठोरी चूंकि नदी और पहाड़ियों से घिरा एक खूबसूरत जगह है और ये वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के पास है, इसीलिए आसपास के इलाके का ये पसंदीदा पिकनिक स्पॉट है।
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भिखना ठोरी चूंकि नेपाल के बॉर्डर पर स्थित गांव है, इसलिए यहां से पैदल ही नेपाल पहुंचा जा सकता है। वो भी बेहद मामूली चेकिंग के बाद। वहां से प्रकृति के और भी सुंदर नजारों का आनंद लिया जा सकता है।
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भिखना ठोरी कभी बौद्ध भिक्षुकों का विश्राम स्थल हुआ करती थी और इसे ‘भिक्तचुक ठौर’ के नाम से जाना जाता था। अंग्रेजों के जमाने में इंग्लैंड के राजा जार्ज पंचम भी यहां ठहरे थे। यहां कई ब्रिटिशकालीन बंगले हैं।
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इस गांव के किनारे पंडई नदी बहती है जिसका नाम पांडवों से लिया गया है। इसमें सुंदर, चमकीले और गोल पत्थर पाए जाते हैं। ये भी आकर्षण का केंद्र है।
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भिखना ठोरी जाने के लिए नरकटियागंज से सड़क से करीब 45 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है। ट्रेन से जाने के लिए भिखना ठोरी रेलवे स्टेशन यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन है, जो गोरखपुर-नरकटियागंज-रक्सौल रेल लाइन से जुड़ा हुआ है।
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