Jan 7, 2025
Credit: istock
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2005 के इस संशोधन के अनुसार, हिंदू परिवार में पैदा होने वाली बेटी, चाहे वह शादीशुदा हो या अविवाहित, अपने पिता की संपत्ति में बेटे के समान अधिकार रखती है।
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यदि पिता की संपत्ति पैतृक (ancestral) है, तो बेटी का उस पर बराबरी का अधिकार होता है। इसका मतलब है कि बेटी और बेटा दोनों समान रूप से संपत्ति में हिस्सेदार होंगे।
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यदि संपत्ति पिता की स्व-अर्जित है और उन्होंने वसीयत (will) नहीं बनाई है, तो बेटी उस संपत्ति में भी बराबर की हकदार होगी।
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यदि पिता ने अपनी संपत्ति के लिए वसीयत बनाई है, तो संपत्ति उसी के अनुसार वितरित होगी।
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शादी के बाद भी बेटियों का अपने पिता की संपत्ति पर कानूनी अधिकार होता है। यदि इस अधिकार में कोई बाधा आती है, तो बेटी कानूनी सहायता ले सकती है।
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