May 29, 2024
पुणे पोर्श हादसे के बाद दर्ज FIR में पुलिस ने मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 185 भी जोड़ी है।
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नशे में गाड़ी चलाने को अपराध बनाती है। पुलिस का मानना है कि हादसे के वक्त आरोपी शराब के नशे में था।
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आखिर ब्लड में कितना अल्कोहल पाए जाने पर ड्रंक एंड ड्राइव का केस बनाया जाता है।
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कोई व्यक्ति शराब पीकर गाड़ी चला रहा है या नहीं? इसे चेक करने के लिए पुलिस ब्रीथ एनालाइजर का इस्तेमाल करती है।
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अगर 100ml खून में 30 एमजी अल्कोहल पाया जाता है तो ड्रंक एंड ड्राइव का केस बनता है।
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मुंह, गला, पेट और आंतों के जरिए अल्कोहल खून में घुल-मिल जाता है। पीने का बाद शराब पचती नहीं है।
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इसलिए खून फेफड़ों से जब गुजरता है, तो अल्कोहल सांसों के जरिए हवा में भी आने लगता है।
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ब्रीथ एनालाइजर में जब सांस छोड़ी जाती है, वैसे ही ये डिवाइस खून में अल्कोहल की मात्रा का पता लगाती है।
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भारत में शराब पीकर गाड़ी चलाना गैर-कानूनी है। पकड़े जाने पर 6 महीने तक की जेल या जुर्माना लग सकता है।
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