Mar 17, 2025
भारत में पहली बार सन 1888 में साबुन का उत्पादन शुरू हुआ। वहीं डिटर्जेंट देश में 20वीं सदी के बीच में पेश किया गया
Credit: Meta AI/iStock
सर्फ की बिक्री 1960 के दशक में शुरू हुई। मगर क्या आप जानते हैं कि जब साबुन या डिटर्जेंट पाउडर नहीं था तब कपड़े कैसे धोए जाते थे?
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प्राकृतिक साबुन का उपयोग भारत में बहुत पहले से हो रहा है। लोग साफ-सफाई और कपड़े धोने के लिए प्राकृतिक उत्पादों का यूज करते थे
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रिपोर्ट्स के अनुसार 1500-500 ईसा पूर्व में नीम, रीठा, शिकाकाई और हल्दी जैसी चीजों का यूज नहाने और कपड़े धोने में किया जाता था
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रीठा का यूज कपड़े साफ करने के लिए किया जाता था। रेशमी कपड़ों को धोने और कीटाणु मुक्त बनाने के लिए रीठा को आज भी बेहतरीन ऑर्गेनिक प्रोडक्ट माना जाता है
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प्राचीन भारत में रीठा एक तरह का सुपर सोप होता था। खास बात ये है कि इसके छिलकों से झाग बनता है
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ग्रामीण क्षेत्रों में नदी-तालाब के किनारे एक सफेद रंग का पाउडर मिलता है जिसे ‘रेह’ कहा जाता है। इस पाउडर को पानी में मिलाकर भी कपड़े धोए जाते थे
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रीठा का यूज आज भी शैंपू बनाने में किया जाता था। तब लोग गर्म ���ानी में कपड़े उबालकर और फिर उन्हें पीटकर भी साफ करते थे
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