Mar 19, 2025
किराये पर घर लेने या देने पर मकान मालिक और किरायेदार के बीच एक 11 महीने का लिखित समझौता किया जाता है, इस समझौते को रेंट एग्रीमेंट करते हैं।
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अब सवाल उठाता है कि कि मकान मालिक किरायेदार के लिए 11 महीने का ही रेंट एग्रीमेंट बनवाते हैं, 12 महीने का क्यों नहीं बनवाते हैं? आइए जानते हैं डिटेल।
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11 महीने के लिए ही रेंट एग्रीमेंट बनाने के पीछे सबसे बड़ी वजह मकान मालिकों की बाद में कानूनी परेशानी से बचने की कोशिश होती है।
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जहां लंबी अवधि के लिए एग्रीमेंट होता है, अक्सर किराया, किराएदार और कार्यकाल जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है।
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लंबी अवधि का एग्रीमेंट किराया नियंत्रण कानूनों के तहत दूसरे पक्ष (किरायेदार) द्वारा प्रॉपर्टी को आगे किराए पर लगाने की संभावना को बढ़ावा देता है।
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लंबी अवधि एग्रीमेंट किरायेदार के अनुकूल हैं, विवाद की स्थिति में रेंट टेनेंसी एक्ट के दायरे में आने वाला यह एंग्रीमेंट लंबी अदालती लड़ाई का कारण बन सकता है।
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रजिस्ट्रेशन एक्ट के मुताबिक, एक साल से ज्यादा अवधि के लिए लीज एग्रीमेंट अनिवार्य रूप से रजिस्टर्ड किया जाता है।
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12 महीने से कम अवधि के लिए किराए के एग्रीमेंट बिना रजिस्ट्रेशन के किए जा सकते हैं।
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11 महीने का एग्रीमेंट मकान मालिक और किरायेदार को सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में डॉक्यूमेंट रजिस्टर्ड कराने और इसकी फीस चुकाने की कठिन प्रक्रिया से बचने के लायक बनाता है।
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इसके अलावा जब एक साल से कम समय के लिए रेंट एग्रीमेंट होता है, तो रजिस्ट्रेशन नहीं कराने से स्टाम्प ड्यूटी का खर्चा भी बचता है।
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11 महीने का रेंट एग्रीमेंट की वजह से मकान मालिकों को हर साल 10 प्रतिशत रेंट बढ़ाने का मौका भी मिल जाता है। वहीं, किराएदारों को पसंद नहीं आने पर घर बदलने की आजादी रहती है।
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