Jan 25, 2023
भारत में मंदिर और मस्जिदों की कमी नहीं है। सबकी अपनी-अपनी मान्यताएं हैं। काफी दूर-दूर से श्रद्धालु मन्नत मांगने के लिए मंदिरों और मस्जिदों में जाते हैं। वहीं, गुजरात के मेहसाणा जिले में एक ऐसा मंदिर है, जो किन्नरों के बीच काफी फेमस है।
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बेचराजी कस्बे में मौजूद इस मंदिर में 'बहुचरा माता' प्रतिष्ठापित हैं। इन्हें 'मुर्गे वाली देवी' भी कहा जाता है।
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ऐसा कहा जाता है कि काफी सारे राक्षसों का एकसाथ संहार करने के कारण इनका नाम बहुचरा पड़ा।
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इस मंदिर को लेकर एक कहानी काफी प्रचलित है। किन्नर समुदायों में कहा जाता है कि गुजरात में एक राजा था, जिसे कोई संतान नहीं था। बहुचर माता की पूजा के बाद उसे संतान तो मिली, लेकिन वो नपुंसक थी।
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एक दिन बहुचरा माता उसके सपने में आईं और उसे गुप्तांग समर्पित करके मुक्ति के मार्ग में आगे बढ़ने को कहा। राजकुमार ने ऐसा ही किया और देवी का उपासक बन गया।
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तब तक किन्नर समुदाय के लोग इन्हीं देवी को मानने लगे। ऐसी मान्यता है कि अगर कोई किन्नर बहुचर माता की पूजा करता है तो अगले जन्म में किन्नर पूरे शरीर के साथ जन्म लेंगे।
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किन्नर कोई भी शुभ काम मुर्गे वाली माता की पूजा-अर्चना के बगैर नहीं करते। कहते हैं कि उनके आशीर्वाद से ही किन्ररों की सारी दुआएं लगती हैं, सभी काम बनते हैं।
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'मुर्गे वाली देवी' नाम के पीछे स्थानीय लोग अलाउद्दीन खिलजी के जमाने की कहानी बताते हैं। दरअसल, मंदिर में बड़ी तादाद में मुर्गे घूमते हैं। कहा जाता है कि अलाउद्दीन जब पाटण जीतकर यहां पहुंचा तो उसके मन में मंदिर लूटने की इच्छा जागी।
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वो अपने सैनिकों को लेकर मंदिर पर चढ़ाई करने ही वाला था कि सैनिकों को पूरे प्रांगण में बहुत सारे मुर्गे नजर आए। सैनिकों को भूख लगी थी तो वो मुर्गे पकाकर खा गए। सिर्फ एक मुर्गी बची। जब सुबह उसने बांग देनी शुरू की तो उसके साथ-साथ सैनिकों के पेट से भी बांग की आवाजें आने लगीं। फिर अचानक ही सैनिक मरने लगे। ये सब देखकर खिलजी और उनके सैनिक भागने निकले। तब से इसे मुर्गे वाली माता का मंदिर भी कहा जाने लगा।
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