​रेलवे ट्रैक के पत्‍थरों पर नंबर क्‍यों लिखे जाते हैं, वजह सुन चौंक जाएंगे​

Shaswat Gupta

Apr 1, 2024

​भारतीय रेलवे​

भारतीय रेलवे की गिनती दुनिया के टॉप-5 रेलवे नेटवर्क में की जाती है। इतना बड़े नेटवर्क को मैनेज करने के लिए रेलवे कई नंबर और बोर्ड की मदद लेता है।

Credit: Social-Media/Istock

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​इन नंबरों की पहचान​

ट्रेन से सफर करते हुए आपने भी इन सफेद पत्‍थरों पर लिखे नंबरों को देखा होगा, लेकिन क्‍या आपको मालूम है कि रेलवे ट्रैक पर पड़े पत्‍थरों पर ये नंबर क्‍यों लिखे होते हैं ?

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​आज मिल जाएगा जवाब​

रेलवे ट्रैक पर पड़े पत्‍थरों पर लिखे नंबरों के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं। ये जवाब आपको इससे पहले कहीं नहीं सुनने को मिला होगा।

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​ये है वजह​

रेलवे ट्रैक के किनारे लगे इन सफेद पत्‍थरों को माइलस्‍टोन कहते हैं। दरअसल, जब सफर के दौरान यात्री का कोई सामान खिड़की से नीचे गिर जाता है तो वो आने वाले माइलस्‍टोन को देखकर उसका नंबर नोट कर सकता है। इसके बाद RPF को ट्रेन नंबर, रूट और माइलस्‍टोन का नंबर बता सकता है, ताकि RPF को मदद मिले।

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​ड्राइवर की मदद​

माइलस्‍टोन पर लिखे नंबर से ड्राइवर को भी मदद मिलती है। अगर ट्रैक पर ड्राइवर को दिक्‍कत लगती है तो वो नजदीकी स्‍टेशन का माइलस्‍टोन का नंबर दे सकता है। वहीं, अगर ट्रैक पर मरम्‍मत का काम चल रहा हो तो ड्राइवर को उस जगह की लिस्‍ट दे दी जाती है ताकि वो उस जगह स्‍पीड कम रखे।

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​पत्‍थरों का चलन खत्‍म​

हालांकि वर्तमान समय में माइलस्‍टोन (पत्‍थर) की जगह मास्‍ट ने ले ली है। इलेक्ट्रिफिकेशन के तहत रेलवे ट्रैक पर बिजली के खम्भे यानी मास्ट लगे थे, इन्‍हीं पर नंबर लिखने के लिए नीले रंग की प्‍लेट लगाई गई। खंभे के फिक्‍स ऊंचाई पर ही ये लगाए जाते हैं ताकि विजिबल हों।

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​पीले रंग की वजह​

मास्‍ट पर पीले रंग से नंबर लिखे जाते हैं, इसकी वजह भी खास है। कहा जाता है कि, रेलवे ट्रैक पर ड्राइवर को घने कोहरे और धुंध में भी दूर से ही नंबर दिख जाए इसके लिए पीले रंग का प्रयोग किया जाता है।

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​नंबर का गणित समझें​

मास्‍ट पर आपको दो नंबर दिखेंगे। जैसे अगर 236/16 लिखा है तो मतलब हुआ कि, ये पोल पहले स्टेशन से 236 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 16 नंबर का मतलब है कि ये मास्ट 236 से 237 किलोमीटर के बीच का 16वां मास्ट है।

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मास्‍ट की संख्‍या

रेलवे ट्रैक पर औसतन एक किलोमीटर के दायरे में 15 से 18 मास्ट लगाए जाते हैं। कई क्षेत्रों में मास्ट की संख्या 30 से 40 तक भी हो सकती है।

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