रवि वैश्य
Jan 3, 2023
ट्रांस जेंडर यानी कि किन्नरों में अंतिम संस्कार की रस्म अदायगी का अलग ही तरीका है
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किन्नरों के रहन-सहन के तरीके से लेकर अंतिम संस्कार तक सारी चीजें अलग तरीके से होती हैं, किन्नरों के अंतिम संस्कार के बारे में भी कम ही लोग जानते हैं
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कहते हैं कि किन्नरों को मौत का पहले से ही आभास हो जाता है फिर ये कहीं भी आना-जाना और यहां तक कि खाना भी बंद कर देते हैं
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इस दौरान वे सिर्फ पानी पीते हैं और ईश्वर से अपने और दूसरे किन्नरों के लिए दुआ करते हैं कि वो अगले जन्म में किन्नर ना बनें
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किन्नर की मौत होने पर साथी किन्नर उसकी मौत पर जश्न मनाते हैं, कहा जाता है कि यह किन्नर रूपी नर्क जीवन से मुक्ति मिलने के लिए किया जाता है
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किन्नर समुदाय शव यात्रा निकालने से पहले शव को जूते-चप्पलों से पीटते हैं इसके अलावा किन्नरों की शवयात्रा कभी भी दिन के समय नहीं निकली जाती है
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किन्नर की मौत पर दिवंगत के शव को सफेद कपड़े में लपेट दिया जाता है और ध्यान रखते हैं कि शव पर कुछ भी बंधा हुआ न हो, ऐसा इसलिए कि दिवंगत की आत्मा आजाद हो सके
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किन्नर की मौत पर दान-पुण्य किया जाता है ताकि पुण्य प्रताप से दिवंगत किन्नर को दोबारा इस योनि में जन्म न मिले
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किन्नरों का अंतिम संस्कार काफी गुपचुप तरीके से किया जाता है कहा जाता है कि किन्नरों को जलाया नहीं जाता बल्कि शवों को दफनाने की परंपरा चली आ रही है
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बताते हैं कि अंतिम संस्कार के बाद एक हफ्ते तक समूचा किन्नर समुदाय भूखा ही रहता है
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