Jul 12, 2023
देवों के देवा महादेव के पास तीन नेत्र हैं इसलिए उन्हें त्र्यंबकेश्वर भी कहा जाता है।
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भगवान शिव ने अपना तीसरा नेत्र कब-कब खोला था, क्या आप जानते हैं। अगर नहीं तो हम बता देते हैं। दरअसल, भोलेनाथ ने तीन बार अपना तीसरा नेत्र खोला था।
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एक बार देवगुरु बृहस्पति के साथ इंद्रदेव भगवान शिव से मिलने कैलाश गए। तब महादेव ने उनके धैर्य की परीक्षा लेनी चाही।
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महादेव ने जब साधु का भेष बनाकर इंद्रदेव का रास्ता रोक दिया तो वे क्रोधित हो गए और उन पर प्रहार कर दिया।
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इंद्रदेव के हमले से भगवान शिव काफी क्रोधित हो गए और अपना तीसरा नेत्र खोल दिया था। उस समय देवगुरु बृहस्पति ने इंद्रदेव की जान बचाई थी।
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इसके बाद समुद्र की ओर शिवजी ने अपना तीसरा नेत्र घुमा दिया जिससे जालंधर असुर का जन्म हुआ।
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देवी सती द्वारा आहुति देने के बाद भगवान शिव लंबी साधना पर चले गए थे। उस समय देवी-देवताओं ने उनकी तपस्या भंग करने की सोची और कामदेव ने इस काम में आगे बढ़े।
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कामदेव ने जब तीर मारकर महादेव की तपस्या भंग की तो उन्होंने क्रोधित होकर तीसरा नेत्र खोल दिया और कामदेव को भस्म कर दिया।
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एक बार जब खेल-खेल में माता पार्वती ने महादेव की आंखों पर अपने हाथ रख दिए तो संपूर्ण जगत में अंधेरा हो गया। उसके बाद विश्व कल्याण के लिए भगवान शिव ने तीसरा नेत्र खोला।
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