शकुनी मामा के जादुई पासों का ये था रहस्य, इस कारण जुएं में कभी नहीं हारे

Dec 12, 2022

By: Aditya Sahu

महाभारत के शकुनि मामा

महाभारत का जिक्र आते ही सबसे ज्यादा बात दुर्योधन के मामा शकुनि की होती है। शकुनि मामा नहीं होते तो शायद महाभारत की लड़ाई भी नहीं होती।

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पांडवों के प्रति बोया था नफरत का बीज

दुर्योधन के मन में पांडवों के प्रति नफरत का बीज बोने वाला कोई और नहीं बल्कि शकुनी मामा ही थे।

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खेला था जुएं का खेल

शकुनी मामा ने जुएं का जो खेल खेला था, उसी की वजह से कौरवों और पांडवों के बीच महाभारत का महायुद्ध हुआ था।

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बदले की भावना से जलता था शकुनि

दरअसल, शकुनि नहीं चाहता था कि उसकी बहन गांधारी का विवाह अंधे धृतराष्ट्र से हो। लेकिन पितामह भीष्म के दबाव में धृतराष्ट्र से गांधारी को विवाह करना पड़ा था। इसके बाद से ही शकुनि बदले की भावना से जल रहा था।

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भीष्म पितामह ने डाला था बंदीगृह में

एक बार भीष्म पितामह ने शकुनी के पूरे परिवार को बंदीगृह में डाल दिया था। वहां सबको इतना ही खाना दिया जाता था, जिससे सभी तड़प-तड़पकर मर जाएं। भूख के कारण शकुनी के सारे भाई आपस में लड़ने लगे। इसके बाद शकुनी के पिता ने तय किया कि सारा खाना एक ही आदमी खाएगा।

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पिता ने शकुनी को बचाया

शकुनी के पिता ने तय किया कि सभी लोग अपनी जान देकर एक आदमी को बचाएंगे, जो उनके अन्याय का बदला लेगा। इसके बाद खाना शकुनी को ही मिलने लगा, क्योंकि वह सबमें सबसे चतुर था।

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पिता की उंगलियों से बना चौसर

शकुनी के पिता जब मरने लगे तो उन्होंने शकुनी से कहा कि उनके मरने के बाद उनकी उंगलियों से पासा बनाना। इससे चौसर के खेल में तुम्हें कोई हरा नहीं पाएगा।

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पांडवों को हराया

इसी की वजह से शकुनी हर बार चौसर के खेल में जीतते थे और पांडवों को इस खेल में हराने में सफल हुए।

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