Jan 13, 2024
अक्सर हमलोग बैल और सांड शब्द का इस्तेमाल करते हैं। कई बार तो लोग यहां तक कह देते हैं कि दोनों एक ही हैं। लेकिन, अगर दोनों एक ही हैं तो अलग-अलग नाम क्यों हैं? अगर आप भी इस गुत्थी में आज तक उलझे हैं, तो आज इस सच्चाई के बारे में जरूर जान लीजिए।
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ये तो हम सब जानते हैं कि जब मेहनत की बात होती है तो बैल का नाम लिया जाता है।
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वहीं, आक्रमता और ताकत की जब बात होती है तो सांड का नाम लिया जाता है।
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अब सवाल ये उठता है कि जब दोनों दोनों गोवंश से ही तालुक रखते हैं, तो फिर दोनों कैसे अलग-अलग हैं।
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कुछ लोग इसके बारे में जरूर जानते होंगे, अगर आप इसका जवाब नहीं जानते हैं तो आज जरूर जान लीजिए।
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दरअसल, गाय का बछड़ा ही बैल और सांड दोनों की भूमिका निभाते हैं।
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गाय के बछड़े को शुरुआत में ही बधिया कर दिया जाता है, जिससे उसकी आक्रमकता खत्म हो जाती है और बड़ा होकर वह बैल बन जाता है।
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बैल का इस्तेमाल खेत जोतने में, गाड़ी खींचने में होता है।
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वहीं, सांड बहुत ही उग्र और गुस्सैल स्वभाव का होता है। इतना ही नहीं सांड काफी ताकतवर भी होता है।
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