Jan 3, 2025
भारतीय रेलवे ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों के लिए जो बिजली खरीदता है उसके लिए उसे 7 रुपये प्रति यूनिट चुकाने पड़ते हैं।
Credit: Social-Media/Istock
ट्रेन की एसी बोगी की बात करें तो उसमें औसतन हर घंटे 210 यूनिट बिजली की खपत होती है। इसी कैलकुलेशन से 12 घंटे के दिन में 7 रुपये की दर से 210 यूनिट के लिए 17,640 रुपये की बिजली खर्च होती है।
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स्लीपर (शयनयान) और जनरल कोच (दीन दयालु कोच) में औसतन एक घंटे में करीब 120 यूनिट बिजली खर्च होती है। ऐसे में 12 घंटे के भीतर 1440 यूनिट बिजली के लिए रेलवे 10,080 रुपये चुकाता है। -
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बता दें कि, भारतीय रेलवे ट्रेन की बोगियों में दो तरीके से बिजली सप्लाई करता है। पहला डायरेक्ट हाई-टेंशन वायर के जरिये इलेक्ट्रिक ट्रेन के इंजन और उसके कोच के लिए यूज़ होता है।
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दूसरा तरीका है- पावर जनरेटर कोच के जरिये। इसमें ये जनरेटर एक कोच में लगा होता है और डीजल के जरिये बिजली पैदा करता है।
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पावर जनरेटर से स्लीपर व जनरल बोगी में जो बिजली सप्लाई होती है उसका डीजल खर्च हर घंटे 3200 रुपये और एसी कोच का 5600 रुपये आता है।
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ट्रेन का कुल बिजली खर्च जानने के लिए उसमें लगे हर कोच को उसकी बिजली खपत से गुणा करना पड़ता है। यदि एक ट्रेन में 4 एसी, 6 स्लीपर और 2 जनरल कोच हैं तो पावर जनरेटर से बिजली खर्च 48,000 रुपये प्रति घंटा मतलब 5,76,000 रुपये प्रतिदिन होगा।
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इसी ट्रेन की बिजली सप्लाई वायर से होने पर उसका कुल खर्च 1,56,960 रुपये प्रति घंटा और 18.83 लाख रुपये प्रति दिन बैठेगा।
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इस लेख में दी गई जानकारी औसतन आंकड़ों पर आधारित है। इसमें रेलवे द्वारा समय के साथ बदलाव होने की प्रबल संभावना है अत: इसमें किए गए दावों सूचना मात्र माना जाए। इस लेख का कोई भी तथ्य अमल में लाने से पहले आवश्यक जांच-पड़ताल कर लें और विवेक का प्रयोग कर ही निर्णय लें। टाइम्स नाउ नवभारत ऐसे औसतन आंकड़ों की पुष्टि नहीं करता है।
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