Oct 14, 2023
विज्ञान की नजर में सूर्य ग्रहण को एक खगोलीय घटना माना जाता है।
Credit: commons-wikimedia
विज्ञान के मुताबिक सूर्य ग्रहण सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा के आने के कारण होता है।
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जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में आता है तो पृथ्वी से सूर्य का प्रकाश वाला भाग दिखाई नहीं देता है।
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पृथ्वी पर सूर्य का प्रकाश न पड़कर चंद्रमा की परछाई नजर आने लगती है, इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
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चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर एक कक्षा में परिक्रमा करता है और उसी समय पृथ्वी भी सूर्य की परिक्रमा करती है।
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परिक्रमा के दौरान कभी-कभी चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, साइंस में इसे ही सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
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पृथ्वी के कुछ हिस्सों दिन में भी शाम या रात की तरह अंधेरा सा छा जाता है।
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जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तो इस दौरान सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता है।
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सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या के दिन ही लगता है। क्योंकि अमावस्या में चंद्रमा पृथ्वी के कक्षीय समतल के निकट होता है।
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सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं। आंशिक सूर्य ग्रहण, वलयाकार सूर्य ग्रहण और पूर्ण सूर्य ग्रहण।
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सूर्य ग्रहण पृथ्वी के बहुत बड़े हिस्से में 100 मील से कम चौड़े या 2 या 3 हजार मील लंबे भूभाग से दिखाई पड़ता है।
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