Dec 20, 2024
भारत पर राज करने वाले अंग्रेज मालवा रियासत के महाराज यशवंतराव होलकर को कभी हरा नहीं पाए।
Credit: Meta-AI
होलकर ने अंग्रेजों की नाक में दम और नाकों चने चबाने पर मजबूर कर दिया था।
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अंग्रेजों में होलकर का खौफ साफ दिखता था और वे बिना शर्त समझौता करने को तैयार थे।
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अपनी गुरिल्ला युद्ध शैली से होलकर हमेशा अंग्रेजों पर भारी पड़े और उन्हें नुकसान पहुंचाया।
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अंग्रेजों को लगता था कि होलकर उनके खिलाफ भारतीय राजाओं को एकजुट कर सकते हैं।
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इसलिए उन्होंने 1805 में उनके साथ शांति समझौता किया और उनका सारा इलाका उन्हें लौटा दिया।
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होलकर की बहादुरी के सम्मान में मुगल बादशाह शाह आलम ने उन्हें महाराजाधिराज राज राजेश्वर अलीजा बहादुर की उपाधि दी थी।
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यशवंत राव होल्कर की बहादुरी और उनके पराक्रम को देखते हुए उन्हें भारत का नेपोलियन भी कहा जाता है।
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होलकर अंग्रेजों के बढ़ते साम्राज्य को रोकना चाहते थे। इसलिए उन्होंने नागपुर के भोंसले और ग्वालियर के सिंधिया से हाथ मिलाया।
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