बर्बादी की कगार पर पाकिस्तानी एयरलाइंस PIA, 34 में 17 विमानों की स्थिति खस्ताहाल, सेवा से हुए बाहर

चार वर्ष के प्रतिबंध के बाद 10 जनवरी से पीआईए यूरोप के लिए उड़ानें पुनः शुरू करने वाली है, लेकिन विमानों की खराब स्थिति के कारण इन सेवाओं पर असर पड़ सकता है।

pia plane

पीआईए के 34 में 17 विमान सेवा से बाहर (फोटो- @ PIA)

पाकिस्तान की सरकारी एयरलाइंस की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि उसके आधे विमान खड़े-खड़े बर्बाद हो चुके हैं। पीआईए की 34 में 17 प्लेन उड़ान भरने के लायक नहीं है। पाकिस्तानी एयरलाइंस को जरूरी पुर्जे ही नहीं मिल रहे हैं।

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छोटे विमानों की भी हालत खराब

आवश्यक कलपुर्जों और अन्य उपकरणों की कमी के कारण पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (पीआईए) के 34 विमानों में से 17 को उड़ान भरने से रोक दिया गया है, जिससे वे सेवा से बाहर हो गए हैं। एयरलाइन्स के एक सूत्र ने कहा कि स्थिति यह है कि पीआईए बेड़े के 17 विमान अब भी सेवा से बाहर हैं। वर्तमान में एयरलाइन के बोइंग 777 बेड़े में 12 में से सात विमान खड़े हैं। इसके अलावा, 17 एयरबस ए320 विमानों में से सात भी काम नहीं कर रहे हैं। एयरलाइन के छोटे एटीआर विमान भी इससे अछूते नहीं हैं, वर्तमान में पांच में से केवल दो विमान ही काम कर रहे हैं।

पैसों की कमी

उड़ान से बाहर रखे गए विमानों में इंजन, लैंडिंग गियर, सहायक विद्युत इकाइयां (एपीयू) और अन्य महत्वपूर्ण भागों सहित आवश्यक घटकों की कमी है। एयरलाइनों के सूत्रों ने कहा कि धन की कमी और संबंधित मंत्रालयों से उचित मंजूरी न मिलना कमी का मुख्य कारण है।

यूरोप की उड़ानों पर असर

इससे देश की राष्ट्रीय एयरलाइन्स की परिचालन क्षमता बुरी तरह प्रभावित हुई है, जो चार वर्ष के प्रतिबंध के बाद 10 जनवरी से यूरोप के लिए उड़ानें पुनः शुरू करने वाली है। सूत्रों ने बताया कि हालांकि अभी भी इसका आकलन करना जल्दबाजी होगी, लेकिन यदि वर्तमान स्थिति बनी रहती है, तो यूरोप के लिए सेवाओं की नियोजित बहाली में देरी हो सकती है, जो पेरिस के लिए दो साप्ताहिक उड़ानों के साथ शुरू होने वाली है।

बेचने की तैयारी में पाक सरकार

इस कमी ने सरकार के निजीकरण आयोग की प्रक्रिया को भी प्रभावित किया है, जो एयरलाइन्स की 60 प्रतिशत हिस्सेदारी निजी बोलीदाताओं को बेचने का प्रयास कर रहा है। इसी साल सरकार ने कर्ज में डूबी एयरलाइंस में 60 प्रतिशत शेयरों का निजीकरण करने का असफल प्रयास किया था, लेकिन इसके लिए केवल 10 अरब पाकिस्तानी रुपये की बोली ही मिल सकी थी, जो आरक्षित मूल्य से काफी कम थी। निजीकरण आयोग ने इसे खारिज कर दिया और नए सिरे से बोली लगाने का फैसला किया।

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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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