Alzheimer: 19 साल का युवक अल्जाइमर का सबसे कम उम्र का पीड़ित, विशेषज्ञ भी रह गए हैरान

किशोर के परिवार में किसी को भी अल्जाइमर रोग या मनोभ्रंश का इतिहास नहीं है। इसे कोई अन्य बीमारी, संक्रमण या सिर का आघात भी नहीं था जो उसकी स्थिति को समझा सके।

Alzheimer

19 साल का युवक अल्जाइमर का सबसे कम उम्र का पीड़ित

तस्वीर साभार : भाषा
चीन में 19 साल के एक शख्स को 17 साल की उम्र से भूलने की समस्या थी। जांच करने पर पता चला कि उसे डिमेंशिया की बीमारी है। हाल ही में जर्नल ऑफ अल्जाइमर्स डिजीज में प्रकाशित एक केस स्टडी से यह जानकारी मिली। कई तरह के परीक्षणों के बाद बीजिंग में कैपिटल मेडिकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किशोर में संभावित अल्जाइमर रोग का निदान किया। अगर निदान सही है, तो वह सबसे कम उम्र का व्यक्ति होगा जिसे डिमेंशिया की इस बीमारी ने घेरा है।

अल्जाइमर के सटीक कारण अभी तक अज्ञात

अल्जाइमर के सटीक कारण हालांकि अभी भी काफी हद तक अज्ञात हैं, लेकिन रोग का कारण मस्तिष्क में दो प्रोटीनों का निर्माण है: बीटा-एमिलॉयड और टौ। अल्जाइमर से पीड़ित लोगों में बीटा-अमाइलॉइड आमतौर पर न्यूरॉन्स (मस्तिष्क की कोशिकाओं) के बाहर बड़ी मात्रा में पाया जाता है, और टौ के गुच्छे एक्सोंस के अंदर पाए जाते हैं, जो न्यूरॉन्स का लंबा, पतला प्रक्षेपण होता है।

टौ181 नामक प्रोटीन अधिक पाया गया

हालांकि, इस 19 वर्षीय किशोर के मस्तिष्क में इन लक्षणों के किसी भी संकेत स्कैन में नजर नहीं आए। लेकिन शोधकर्ताओं ने रोगी के मस्तिष्कमेरु द्रव में पी-टौ181 नामक प्रोटीन का असामान्य रूप से उच्च स्तर पाया। यह आमतौर पर मस्तिष्क में टौ टेंगल्स के बनने से पहले होता है। 30 वर्ष से कम उम्र के लोगों में अल्जाइमर रोग के लगभग सभी मामले वंशानुगत दोषपूर्ण जीन के कारण होते हैं। दरअसल, पिछले सबसे कम उम्र21 वर्षीय शख्स के मामले का भी एक आनुवंशिक कारण था।
युवाओं में अल्जाइमर रोग से तीन जीन जुड़े हुए हैं: एमिलॉयड अग्रदूत प्रोटीन (एपीपी), प्रीसेनिलिन 1 (पीएसईएन1) और प्रीसेनिलिन 2 (पीएसईएन 2)। ये जीन बीटा-एमिलॉइड पेप्टाइड नामक एक प्रोटीन अंश के उत्पादन में शामिल हैं, जो पहले उल्लिखित बीटा-एमिलॉइड का अग्रदूत है। यदि जीन दोषपूर्ण है, तो यह मस्तिष्क में बीटा-अमाइलॉइड के असामान्य जमाव को जन्म दे सकता है जो अल्जाइमर रोग की एक पहचान होने के साथ साथ इसके उपचार के लिए एक लक्ष्य भी है, जैसे कि हाल ही में स्वीकृत दवा लेकेनमेब।
अल्जाइमर रोग विकसित करने के लिए लोगों को केवल एपीपी, पीएसईएन1 या पीएसईएन2 में से एक की जरूरत होती है, और उनके बच्चों को उनसे जीन विरासत में मिलने और बीमारी विकसित होने की भी 50:50 संभावना होती है। हालांकि, इस नए मामले में एक आनुवंशिक कारण को खारिज कर दिया गया था क्योंकि शोधकर्ताओं ने रोगी के पूरे-जीनोम अनुक्रम का अध्ययन किया और किसी भी ज्ञात आनुवंशिक परिवर्तन को खोजने में विफल रहे।

किशोर के परिवार में किसी को भी अल्जाइमर रोग नहीं

किशोर के परिवार में किसी को भी अल्जाइमर रोग या मनोभ्रंश का इतिहास नहीं है। इसे कोई अन्य बीमारी, संक्रमण या सिर का आघात भी नहीं था जो उसकी स्थिति को समझा सके। यह स्पष्ट है कि उसे अल्जाइमर का जो भी रूप है, वह अत्यंत दुर्लभ है। 17 साल की उम्र में किशोर को अपने स्कूल की पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने में समस्या होने लगी। इसके एक साल बाद उसकी अल्पकालिक स्मृति का नुकसान हुआ। उसे याद नहीं रहता था कि उसने खाना खाया है या अपना होमवर्क किया है। उसका स्मृति लोप इतनी गंभीर हो गया कि उसे हाई स्कूल छोड़ना पड़ा।
स्मृति लोप का पता लगाने के लिए उपयोग किए जाने वाले मानक संज्ञानात्मक परीक्षणों द्वारा अल्जाइमर रोग के संभावित निदान की पुष्टि की गई। परिणामों ने सुझाव दिया कि उनकी स्मृति गंभीर रूप से कमजोर थी। मस्तिष्क के स्कैन से यह भी पता चला कि उसका हिप्पोकैम्पस - स्मृति में शामिल मस्तिष्क का एक हिस्सा सिकुड़ गया था। यह डिमेंशिया का एक विशिष्ट शुरुआती संकेत है।
एक मस्तिष्क बायोप्सी बहुत जोखिम भरा होगा, इसलिए उसके डिमेंशिया के जैविक तंत्र को समझना मुश्किल है और यह मामला इस बिंदु पर एक चिकित्सा रहस्य बना हुआ है। कम उम्र के रोगियों में अल्जाइमर रोग की शुरुआत के मामले बढ़ रहे हैं। अफसोस की बात है कि यह आखिरी ऐसा दुर्लभ मामला नहीं है जिसके बारे में हम सुन रहे हैं।
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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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