26/11 हमलों ने पूरी दुनिया को झकझोरा, इंसाफ की लड़ाई में हम भारत के साथ, राणा के प्रत्यर्पण पर अमेरिका का बयान
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा, संयुक्त राज्य अमेरिका ने लंबे समय से भारत के उन प्रयासों का समर्थन किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाया जाए,

तहव्वुर राणा
US on Tahawwur Rana Extradition: 26/11 मुंबई हमले के आरोपी पाकिस्तानी-कनाडाई तहव्वुर हुसैन राणा के प्रत्यर्पण पर अमेरिका भारत के साथ खुलकर सामने आया है। इस मामले पर बयान देते हुए अमेरिका ने कहा, 26/11 के आतंकवादी हमलों ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था और अमेरिका ने लंबे समय से भारत के उन प्रयासों का समर्थन किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाया जाए। 9 अप्रैल को अमेरिका ने 64 वर्षीय राणा को भारत प्रत्यर्पित किया है, ताकि उसे 2008 के भयावह मुंबई आतंकवादी हमलों की योजना बनाने में उसकी भूमिका के लिए न्याय का सामना करना पड़े।
आतंक के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ अमेरिका
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा, संयुक्त राज्य अमेरिका ने लंबे समय से भारत के उन प्रयासों का समर्थन किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाया जाए, और जैसा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है, संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत आतंकवाद के वैश्विक संकट से निपटने के लिए मिलकर काम करना जारी रखेंगे। राणा भारत के कब्जे में है और हमें इसे लेकर गर्व है।
ब्रूस ने कहा कि कुछ लोगों को शायद वे हमले याद न हों, जिनमें छह अमेरिकियों सहित 166 लोगों की दुखद मौत हो गई थी, जिसने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया था। आप देखें और फैसला करें कि आज की स्थिति के लिहाज से यह कितना भयानक था। इससे पहले, अमेरिकी न्याय विभाग के एक प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि राणा का प्रत्यर्पण जघन्य हमलों के पीड़ितों के लिए इंसाफ की तलाश की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रवक्ता ने कहा, राणा का प्रत्यर्पण उन छह अमेरिकियों और कई अन्य पीड़ितों के लिए न्याय दिलाने की दिशा में एक अहम कदम है, जो इस जघन्य हमले में मारे गए थे।
लॉस एंजिल्स में मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद था राणा
राणा लॉस एंजिल्स में मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद था और उसने 27 फरवरी, 2025 को संयुक्त राज्य अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट के एसोसिएट जस्टिस और नौवें सर्किट के सर्किट जस्टिस एलेना कगन के समक्ष बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के लंबित मुकदमे पर रोक लगाने के लिए आपातकालीन आवेदन पेश किया था। कगन ने पिछले महीने की शुरुआत में आवेदन को अस्वीकार कर दिया था।
याचिका में दिया बीमारी का हवाला
इसके बाद अपनी आपातकालीन याचिका में राणा ने मुकदमे के लंबित रहने तक अपने प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की मांग की थी, जिसमें कहा गया था कि अगर उसे भारत प्रत्यर्पित किया जाता है, तो उसे यातना का सामना करने का खतरा होगा और इस मामले में यातना की संभावना और भी अधिक है, क्योंकि वह पाकिस्तानी मूल का मुस्लिम है और वह गंभीर जोखिम का सामना कर रहा है। आवेदन में यह भी कहा गया कि उसकी गंभीर मेडिकल स्थिति इस मामले में भारतीय हिरासत केंद्र में प्रत्यर्पण को असल में मौत की सजा जैसी ही है। इस याचिका में राणा ने अपनी कई बीमारियों का हवाला भी दिया था।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। दुनिया (World News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

खामेनेई ने ट्रम्प को दी चेतावनी, बोले- अमेरिका ने हस्तक्षेप किया तो उठाना होगा भारी नुकसान

'मैंने आसिम मुनीर को यहां इसलिए बुलाया था...' अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख से मुलाकात पर कही ये बात

इजरायल-ईरान संघर्ष के बीच PM मोदी का विश्व को संदेश, युद्ध के मैदान से नहीं आ सकता समस्याओं का समाधान

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई के संबोधन के बाद इजराइल ने तेहरान पर नए हमले किए शुरू

'हमसे बातचीत करना चाहता है ईरान, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है', ट्रंप के नए बयान ने बढ़ाई सरगर्मी
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited