Afghanistan में महिला अधिकारों पर फिर लगाम! तालिबान ने अब ब्यूटी पार्लर किए बैन, औरतें बोलीं- क्या भूखे मर जाएं?

Afghanistan Latest News: हालांकि, मेकअप आर्टिस्ट रेहान मुबरेज ने इस बारे में वहां के "टोलो न्यूज" को बताया- मर्द बेरोजगार हैं। जब पुरुष अपने परिवार का ख्याल नहीं रख पाते हैं, तब महिलाएं काम के लिए मजबूर होती हैं और वे रोजी-रोटी के लिए ब्यूटी पार्लर का रुख करती हैं। अगर वे भी बैन कर दिए गए तब हम क्या करेंगे?

Afghanistan Beauty Parlours

तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइलः एपी)

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो

Afghanistan Latest News: अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों पर एक बार फिर से लगाम लगा दी गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि तालिबान ने वहां के ब्यूटी पार्लर्स पर बैन लगा दिया गया है। मंगलवार (चार जुलाई, 2023) को इस बात की पुष्टि सरकारी आदेश के जरिए हुई। तालिबान की ओर से चलाई जाने वाले वर्च्यू एंड वाइस मिनिस्ट्री के प्रवक्ता मोहम्मद सिदिक आकिफ मजहर की ओर से इस बाबत पुष्टि की गई। हालांकि, उन्होंने सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक सर्कुलर को लेकर पुष्टि की, मगर बैन के बारे में अधिक डिटेल्स नहीं दिए।

24 जून, 2023 को मंत्रालय की ओर से जारी किए गए पत्र में लिखा था कि यह सुप्रीम लीडर हैबतुल्लाह अखून ज्यादा का मौखिक आदेश है। ब्यूटी पार्लर्स पर जो बैन लगाया गया है, वह राजधानी काबुल के साथ सभी प्रांतों में मान्य होगा। उन्होंने वहां ब्यूटी पार्लर चलाने वाले लोगों को एक महीने की मोहलत दी है कि वे इस समय-सीमा के भीतर अपना काम-काज समेट लें। एक महीने के बाद उन्हें अपने काम-धंधे बंद करने होंगे और उस बारे में रिपोर्ट भी सौंपनी होगी।

रोचक बात है कि इस लेटर में बैन के पीछे का कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया और यह कदम ऐसे वक्त पर आया जब कुछ रोज पहले अखून ज्यादा ने दावा किया था कि उनकी सरकार ने मुल्क में महिलाओं की जिंदगी में बेहतरी लाने के लिए जरूरी कदम उठाए हैं।

हालांकि, मेकअप आर्टिस्ट रेहान मुबरेज ने इस बारे में वहां के "टोलो न्यूज" को बताया- मर्द बेरोजगार हैं। जब पुरुष अपने परिवार का ख्याल नहीं रख पाते हैं, तब महिलाएं काम के लिए मजबूर होती हैं और वे रोजी-रोटी के लिए ब्यूटी पार्लर का रुख करती हैं। अगर वे भी बैन कर दिए गए तब हम क्या करेंगे?

इस बीच, एक और मेकअप आर्टिस्ट ने कहा, "अगर हमारे परिवार के आदमियों के पास काम हो तो हम घर से न निकलें। हम अब इस स्थिति में क्या करें? क्या हम भूखे मर जाएं...बताइए? आप हमें मरते देखना चाहते हैं क्या?"

वैसे, तालिबान की ओर से उठाया गया यह कोई पहला कड़ा फैसला नहीं है। साल 1990 के दशक में सत्ता में अपने पिछले कार्यकाल की तुलना में अधिक उदार शासन के शुरुआती वादों के बावजूद तालिबान ने कठोर कदम उठाए। महिलाओं को न सिर्फ पार्क और जिम जैसे सार्वजनिक स्थानों पर जाने से रोका गया बल्कि मीडिया की स्वतंत्रता पर भी नकेल कसी गई। महिलाओं को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) या फिर गैर सरकारी संगठनों के लिए काम करने से रोक दिया गया और हजारों को सरकारी नौकरियों से बर्खास्त कर दिया गया या उन्हें घर पर रहने के लिए भुगतान दिया जा रहा है।

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अभिषेक गुप्ता author

छोटे शहर से, पर सपने बड़े-बड़े. किस्सागो ऐसे जो कहने-बताने और सुनाने को बेताब. कंटेंट क्रिएशन के साथ नजर से खबर पकड़ने में पारंगत और "मीडिया की मंडी" ...और देखें

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