ड्रग के भारी नशे में इजरायल में घुसे थे हमास के आतंकी, 'कैप्टागॉन' खाकर मचाया कत्लेआम, खेला 'खूनी खेल'
Captagon Drug: साल 2015 के आस-पास 'कैप्टागॉन' ड्रग का इस्तेमाल आतंकवादी संगठन आईएसआईएस करने लगा। जघन्य अपराधों को अंजाम देने में उसके लड़ाकों को किसी तरह का डर या भय महसूस न हो, इसके लिए वह उन्हें 'कैप्टागॉन' ड्रग देता था। इसके नशे में आतंकवादी लोगों का गला रेतने से लेकर अन्य क्रूर वारदातों को करने से हिचकते नहीं थे।
हमास के मारे गए आतंकवादियों के पास से ड्रग मिलने का दावा।
Captagon Drug: गत सात अक्टूबर को इजरायल में दाखिल होकर वहां 'नरसंहार' करने वाले हमास के आतंकियों के बारे में चौंकाने वाला सनसनीखेज खुलासा हुआ है। 'खूनी खेल' खेलने वाले हमास के लड़ाके ड्रग के भयंकर नशे में थे। इस ड्रग के नशे में उन्होंने महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों की निर्दयता पूर्वक हत्या की। इसका खुलासा यरूशलम पोस्ट ने अपनी एक रिपोर्ट में किया है। अखबार का दावा है कि मारे गए आतंकवादियों की जेब से ड्रग 'कैप्टागॉन' की गोलियां मिलीं। मध्य पूर्व के कई देशों में यह ड्रग कम कीमत में आसानी से उपलब्ध है।
क्या है कैप्टगॉन
कैप्टगॉन को सबसे पहले 1960 के दशक में बनाया गया था और दुनियाभर में इसका इस्तेमाल एंटीडिप्रेसेंट (अवसाद की दवा) के रूप में किया जाता है। इसके अलावा इसे कई और बीमारियों में भी डॉक्टरों द्वारा सुझाया जाता है। कैप्टागॉन के बारे में कहा जाता है कि इसके भूख नहीं लगती और नींद कम आती है। इसे 'गरीबों का कोकीन' कहा जाता है। इसे लेने के बाद व्यक्ति अच्छाई और बुराई के बीच फर्क नहीं कर पाता। मुश्किल एवं चुनौतीपूर्ण समय में वह ज्यादा खुद को सतर्क रखता है।
अपने लड़ाकों को 'कैप्टागॉन' देता था ISIS
साल 2015 के आस-पास 'कैप्टागॉन' ड्रग का इस्तेमाल आतंकवादी संगठन आईएसआईएस करने लगा। जघन्य अपराधों को अंजाम देने में उसके लड़ाकों को किसी तरह का डर या भय महसूस न हो, इसके लिए वह उन्हें 'कैप्टागॉन' ड्रग देता था। इसके नशे में आईएस के आतंकवादी लोगों का गला रेतने से लेकर अन्य क्रूर वारदातों को करने से हिचकते नहीं थे। आईएसआईए के खात्म के बाद इस ड्रग के गोरखधंधे में लेबनान एवं सीरिया के आतंकवादी संगठन उतर गए। खासकर गाजा इन दवाओं के कारोबार के एक बड़े केंद्र के रूप में उभरा। यहां के युवा इस ड्रग का इस्तेमाल करने लगे।
मध्य पूर्व में अरबों डॉलर का कारोबार
'कैप्टागॉन' की लत ऐसी है कि एक बार इसका आदी हो जाने पर इसे छोड़ना बहुत मुश्किल होता है। मध्य पूर्व में इस ड्रग का कारोबार अरबों डॉलर का है। गरीब देशों में इस ड्रग को एक या दो डॉलर में खरीदा जा सकता है लेकिन अमीर देशों में इसकी एक गोली की कीमत 20 डॉलर तक जाती है। लेबनान एवं सीरिया में चिकित्सा सेवा से जुड़े लोगों का कहना है कि 'कैप्टागॉन' का इस्तेमाल केवल आतंकी संगठनों के लड़ाके ही नहीं बल्कि संघर्षयुक्त इलाकों में रहने वाले हताश एवं निराश लोग भी धड़ल्ले से इस ड्रग को लेते हैं।
'कैप्टागॉन' का सबसे बड़ा बाजार सीरिया
अभी सीरिया 'कैप्टागॉन' का सबसे बड़ा बाजार बन चुका है। उसके ड्रग के इस धंधे का आगे बढ़ाने में आतंकी संगठन हिज्बुल्ला का पूरा साथ मिलता है। न्यूयॉर्क टाइम्स की दो साल पहले आई एक रिपोर्ट में कहा गया कि सीरियाई शासक बशर अल असद के परिवार सहित उनके करीबी लोग ड्रग के इस गोरखधंधे में शामिल हैं। यहां 'कैप्टागॉन' एक उद्योग का रूप ले चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में केवल सीरिया से 3.5 अरब डॉलर मूल्य का 'कैप्टागॉन' बाहरी देशों में भेजा गया। यह रकम सीरिया के निर्यात से पांच गुना अधिक है। 'कैप्टागॉन' की पहुंच मध्य पूर्व के देशों तक नहीं बल्कि यह यूरोप एवं अमेरिका तक हो गई है।
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