अस्थायी संघर्ष विराम, बंधकों की रिहाई से जुड़े समझौते का अब क्या होगा, हनियेह की हत्या के बाद बेपटरी हो सकती है बातचीत

Ismail Haniyeh Assassination : आपको याद होगा कि कुछ महीने पहले यानी 19 मई को एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत हो गई। इस हादसे में ईरान के विदेश मंत्री भी मारे गए। इस दुर्घटना में भी इजरायल का हाथ होने की आशंका जताई गई।

Ismail Haniyeh Assassination

तेहरान में मंगलवार को हुई हमास नेता इस्माइल हनियेह की हत्या।

मुख्य बातें
  • ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के शपथ ग्रहण समारोह में आए थे हनियेह
  • बताया जा रहा है कि जहां वह रुके थे, वहां पर रॉकेट से हमला हुआ
  • इस हमले में उनका बॉडीगार्ड भी मारा गया, ईरान ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
Ismail Haniyeh Assassination : हमास के नेता इस्माइल हानियेह की हत्या के बाद पूरे मध्य पूर्व के देशों में सनसनी फैल गई है। अमेरिका, तुर्की, सऊदी अरब, ईरान इन सभी देशों में हलचल देखी जा रही है। मगर एक देश चुप है। वह इजरायल है। इस हत्या पर उसकी तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, अंगुली उसी की तरफ उठ रही है। चीन, जॉर्डन, ईरान, लेबनान सभी ने इस हत्या की निंदा की है। हमास ने इस हत्या के लिए सीधे इजरायल को जिम्मेदार ठहराया है। उसके एक अधिकारी ने कहा कि 'हनियेह की खून बेकार नहीं जाएगा।'

इलाके में तनाव और तीव्र होगा-जॉर्डन

जॉर्डन ने भी हमास नेता के मारे जाने की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए इस हमले के पीछे इजरायल को जिम्मेदार ठहराया है। उसने कहा है कि इससे इलाके में तनाव और तीव्र होगा और अराजकता फैलेगी। लेबनान के पीएम नाजिब मिकाती ने अपनी कैबिनेट की बैठक में तनाव के बड़े पैमाने पर फैलने की चेतावनी दी। ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के पूर्व कमांडर मोहसेन रेजाई ने सीधे-सीधे इजरायल को अंजाम भुगतने की चेतावनी दे दी है। उन्होंने कहा है कि इस हत्या के लिए इजरायल को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। हमास के वरिष्ठ अधिकारी सामी अबू जुहरी ने कहा कि हमारे भाई (इस्माइल हानिया) की मौत के बाद भी इजरायल अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो सकेगा। हमास एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचारधारा है। एक संस्था है।

हनियेह थे कौन?

इन देशों की ये कड़ी प्रतिक्रियाएं हनियेह के कद और हैसियत को बताती हैं। फिर भी हम आपको बताते हैं कि हनियेह थे कौन? हनियेह को व्यापक रूप से हमास का नेता माना जाता था। वह 1980 से ही हमास के आंदोलनों से जुड़े थे। 2006 में इन्हें फिलिस्तीन का प्रधानमंत्री बनाया गया लेकिन हनियेह की नियुक्ति के एक साल पूरे होने इन्हें पीएम पद से हटा दिया गया। साल 2017 में उन्हें हमास के राजनीतिक इकाई का प्रमुख बनाया गया। इसके एक साल बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इन्हें आतंकवादी घोषित किया।

हत्या पर इजरायल ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी

यहां एक सवाल है कि हनियेह की हत्या के पीछे क्या वाकई में इजरायल है या उसने हत्या कराई है? यह सवाल इसलिए क्योंकि हनियेह हमास के अन्य कमांडरों की तरह छिपकर नहीं रह रहे थे। वह सार्वजनिक रूप से नजर आते थे। यह भी सही है कि सात अक्टूबर के हमलों के बाद इजरायल ने गाजा में जो हवाई हमले किए उसमें हनियेह के तीन बेटे और चार पोते-पोती मारे गए थे। हम यह नहीं कह रहे हैं कि हनियेह की हत्या के पीछे इजरायल का हाथ नहीं है, हो सकता है कि इस हत्या के पीछे उसका हाथ हो लेकिन इजरायल ने उनकी हत्या पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन एक सवाल जो परेशान कर रहा है, वह यह है कि उन्होंने ऐसा अभी क्यों किया? यह बात थोड़ी अजीब लग रही है। अगर हनियेह की हत्या करानी होती तो वे बहुत पहले ऐसा कर सकते थे।

19 मई को हेलिकॉप्टर हादसे में ईरान के राष्ट्रपति की मौत

हो सकता है कि हनियेह को कतर में मारना उनके लिए आसान न हो लेकिन ईरान में इसे अंजाम देकर उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की हो कि कोई भी सुरक्षित नहीं है क्योंकि हमास और हिज्बुल्ला के टॉप कमांडरों के लिए ईरान, कतर और तुर्की सुरक्षित देश माने जाते हैं। आपको याद होगा कि कुछ महीने पहले यानी 19 मई को एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत हो गई। इस हादसे में ईरान के विदेश मंत्री भी मारे गए। इस दुर्घटना में भी इजरायल का हाथ होने की आशंका जताई गई। लेकिन इजरायल ने साफ-साफ और बिना देरी किए कहा कि इस हादसे से उसका कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन इस बार वह चुप है और चुप्पी के जो मायने होते हैं, वही अर्थ यहां लगाया जा सकता है।

अब समझौते का क्या होगा?

दूसरी एक और बात जो परेशान करने वाली है। वह यह है कि हानियेह उस अस्थायी संघर्ष विराम और बंधकों की रिहाई से जुड़े समझौते का हिस्सा थे। जिसे अमेरिका आगे बढ़ा रहा था। बंधकों की रिहाई और अस्थायी सीजफायर हो सकता था। इससे इजरायल को उसके बंधक मिल जाते लेकिन हनियेह की हत्या से इस पहल को एक बड़ा झटका लग गया है, यह समझौता हो पाएगा या नहीं, अब सवाल खड़ा हो गया है।
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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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