अपने ही अस्तित्व की निशानियों को मिटा रहा बांग्लादेश! सरकारी आदेश के बाद मुक्ति युद्ध के भित्तिचित्र को किया गया ध्वस्त

हाल ही में, बांग्लादेश के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इस भित्ति चित्र को कपड़े से ढक दिया गया था। इसकी देशभर में लोगों ने कड़ी आलोचना की थी और इसे बंगाली राष्ट्र के इतिहास में 'बेशर्म हस्तक्षेप' करार दिया था। स्थानीय मीडिया ने जिला प्रशासन के अधिकारियों के हवाले से कहा कि उन्होंने छात्र संगठन 'स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन (एसएडी)' की मांग के जवाब में भित्ति चित्र को ढक दिया था।

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बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस (फाइल फोटो)

बांग्लादेश अपने ही अस्तित्व की निशानियों को मिटाने में जुटा है। बांग्लादेश के लालमोनिरहाट जिले में मुक्ति संग्राम स्मारक मंच के भित्ति चित्र को स्थानीय अधिकारियों के निर्देश पर ध्वस्त कर दिया गया। कुछ दिनों पहले देश के स्वतंत्रता दिवस पर इसे कपड़े से ढंक दिया गया था। । रविवार सुबह से शाम तक मजदूरों ने भित्ति चित्र को ध्वस्त किया।

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सरकारी आदेश के बाद किया ध्वस्त

स्थानीय मीडिया से बात करते हुए मजदूरों ने बताया कि वे लालमोनिरहाट के डिप्टी कमिश्नर के निर्देश पर भित्ति चित्र को ध्वस्त कर रहे थे। प्रमुख बांग्लादेशी दैनिक 'द ढाका ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल बांग्लादेश (टीआईबी) ने कहा कि संगठन निश्चित रूप से इस कदम का विरोध करेगा। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के बांग्लादेश क्षेत्र समन्वयक मोहम्मद मोर्शेद आलम ने कहा, "हमने पहले भी मुक्ति संग्राम के भित्ति चित्र को ढंकने का विरोध किया था...हम आगे भी इसका विरोध करेंगे।"

क्या था भित्तिचित्र का इतिहास

भित्तिचित्र में 1950 के दशक के भाषा आंदोलन की पृष्ठभूमि, 7 मार्च का ऐतिहासिक भाषण, स्वतंत्रता संग्राम, मुजीबनगर सरकार का गठन, स्वतंत्र भूमि पर नए सूर्य का उदय, पाकिस्तान द्वारा 1971 का नरसंहार, विजय की खुशी में झूमते वीर स्वतंत्रता सेनानी, सात महान नायक, पाकिस्तानी सेना का आत्मसमर्पण, राष्ट्रीय ध्वज थामे उत्साही भीड़ और कई अन्य ऐतिहासिक क्षणों को दर्शाया गया था।

तख्तापलट के बाद से बनाया जा रहा निशाना

बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े स्मारकों, मूर्तियों, संग्रहालयों को निशाना बनाया जा रहा है। पिछले साल अगस्त में आवामी लीग सरकार के गिरने के बाद कई शहरों में बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम के महानायक शेख मुजीब की मूर्तियों को गिरा दिया गया था।

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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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