बांग्लादेश में बेकाबू हुआ प्रदर्शन: जेल में घुसे प्रदर्शनकारी, लगाई आग; कई कैदियों को कराया रिहा

Bangladesh Student Protest: बांग्लादेश में हो रहे प्रदर्शन में अब तक 64 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, एक दिन पहले हुई हिंसा में 22 लोगों की मौत हुई थी। जब प्रदर्शनकारियों ने एक सरकारी टेलीविजन कार्यालय पर हमला किया था। अब प्रदर्शनकारी छात्रों ने बांग्लादेश की एक जेल पर हमला कर दिया।

Bangladesh violence reservation

बांग्लादेश में हिंसा

Bangladesh Student Protest: बांग्लादेश में सरकारी नौकरी में आरक्षण के खिलाफ जारी प्रदर्शन बेकाबू होता जा रहा है। शुक्रवार को प्रदर्शनकारियों को काबू करने के लिए पुलिस ने उन पर गोलियां चलाईं और आंसू गैस के गोले दागे, साथ ही राजधानी ढाका में लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया। इन हिंसक प्रदर्शनों के बीच देश में इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बंद कर दी गई हैं।

इस बीच, खबर है कि प्रदर्शनकारी छात्रों ने बांग्लादेश की एक जेल में धावा बोल दिया और वहां आग लगा दी। इतना ही नहीं छात्रों ने कई कैदियों को छुड़वा लिया। घटना मध्य बांग्लादेश के नरसिंगडी जिले की है। एक अधिकारी ने बताया कि जेल से कितने कैदी भाग गए, इसकी सटीक जानकारी नहीं है। लेकिन यह संख्या सैकड़ों में होगी। उन्होंने बताया कि कैदियों के भागने के बाद प्रदर्शनकारियों ने आग लगा दी।

अब तक 64 लोगों की मौत

बता दें, बांग्लादेश में हो रहे प्रदर्शन में अब तक 64 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, एक दिन पहले हुई हिंसा में 22 लोगों की मौत हुई थी। जब प्रदर्शनकारियों ने एक सरकारी टेलीविजन कार्यालय पर हमला किया था। स्थानीय मीडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि गुरुवार को कम से कम 22 लोग मारे गए जबकि इस सप्ताह की शुरुआत में छह लोगों की मौत हो गई थी।

क्यों हो रहा प्रदर्शन

बता दें, ढाका और अन्य शहरों में विश्वविद्यालय के छात्र 1971 में पाकिस्तान से देश की आजादी के लिए लड़ने वाले युद्ध नायकों के रिश्तेदारों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कुछ नौकरियों को आरक्षित करने की प्रणाली के खिलाफ कई दिनों से रैलियां कर रहे हैं। उनका तर्क है कि यह प्रणाली भेदभावपूर्ण है और प्रधानमंत्री शेख हसीना के समर्थकों को लाभ पहुंचा रही है, जिनकी अवामी लीग पार्टी ने मुक्ति आंदोलन का नेतृत्व किया था। छात्र चाहते हैं कि इसे योग्यता आधारित प्रणाली में तब्दील किया जाए। वहीं हसीना ने आरक्षण प्रणाली का बचाव करते हुए कहा कि युद्ध में योगदान देने वालों को सम्मान मिलना चाहिए चाहे उनकी राजनीतिक संबद्धता कुछ भी हो।

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प्रांजुल श्रीवास्तव author

मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें

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