दुश्मन पर कहर बनकर टूटने के आदी हैं नेतन्याहू, स्पेशल फोर्स में कर चुके हैं काम, कंधे में लग चुकी है गोली

Benjamin Netanyahu News: तेल अवीव में 1949 में जन्में नेतन्याहू की शुरुआती पढ़ाई यरूशलम में हुई। इनका परिवार 1956 और 1958 एवं 1963 से 1967 तक अमेरिका पेनसिलवेनिया के चेल्टेन्हम शहर में रहा। इनके पिता यहां एक कॉलेज में शिक्षक थे। नेतन्याहू ने यहीं से अपना स्नातक किया। बचपन में उनकी रुचि बहस, शतरंज, सॉकर में रही।

Benjamin Netanyahu

इजरायल के सैन्य अभियानों में शामिल हो चुके हैं नेतन्याहू।

Benjamin Netanyahu : आतंकवादी संगठन हमास के हमलों के बाद इजरायल की जवाबी एवं निर्णायक कार्रवाई जारी है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। उन्होंने दो टूक शब्दों में स्पष्ट कर दिया है कि हमास को इसकी भारी कीमत चुकानी होगी। यह कीमत इतनी बड़ी होगी कि उसकी आने वाली पीढ़ियां इसे याद रखेंगी। उन्होंने कहा है कि वह मध्य पूर्व का नक्शा बदल देंगे। उन्होंने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। जाहिर है कि नेतन्याहू हमले में हमास की मदद करने वाले देशों को भी बख्शने के मूड में नहीं हैं। इजरायल के पीएम के ये सख्त एवं फौलादी इरादे केवल एक राजनेता के नहीं हैं बल्कि उसमें एक ऐसे सैन्य कमांडर की सोच एवं हौसला भी शामिल है जो देश की स्पेशल फोर्स में काम कर चुका है और गोली लगने से जख्मी भी हुआ है।

अमेरिका में स्नातक किया, फिर IDF में हुए शामिल

तेल अवीव में 1949 में जन्में नेतन्याहू की शुरुआती पढ़ाई यरूशलम में हुई। इनका परिवार 1956 और 1958 एवं 1963 से 1967 तक अमेरिका पेनसिलवेनिया के चेल्टेन्हम शहर में रहा। इनके पिता यहां एक कॉलेज में शिक्षक थे। नेतन्याहू ने यहीं से अपना स्नातक किया। बचपन में उनकी रुचि बहस, शतरंज, सॉकर में रही। 1967 में स्नातक की डिग्री लेने के बाद नेतन्याहू इजरायल लौट आए और देश की सेना इजरायल डिफेंस फोर्सेज (IDF) में शामिल हो गए। सेना में इन्होंने एक लड़ाकू सैनिक के रूप में गहन प्रशिक्षण प्राप्त किया और आईडीएफ की स्पेशल फोर्स सेरेट मतकाल में पांच वर्षों तक काम किया। इस दौरान वह कई सैन्य ऑपरेशन एवं मिशन में शामिल रहे। इनकी चतुराई एवं कौशल को देखते हुए इन्हें यूनिट का लीडर बनाया गया।

फ्लाइट के बंधकों को छुड़ाने के दौरान लगी गोली

सैन्य अभियानों के दौरान नेतन्याहू कई बार जख्मी हुए। वह 1968 में लेबनान पर हुए रेड और मई 1972 में हाइजैक सबीना फ्लाइट 571 के बंधकों को छुड़ाने के लिए चलाए गए अभियान में शामिल हुए। सबीना फ्लाइट के बंधकों को छुड़ाए जाने के दौरान आतंकियों की एक गोली इनके कंधे पर लगी। साल 1972 में इन्हें आईडीएफ की नियमित सेवा से डिस्चार्ज कर दिया गया लेकिन वह स्पेशल फोर्स के रिजर्व सैनिक के रूप में बने रहे। इसके बाद आगे की पढ़ाई करने के लिए नेतन्याहू एक बार फिर अमेरिका चले गए।

1973 के योम किपुर युद्ध में हुए शामिल

फिर 1973 के योम किपुर युद्ध में अपनी सेवा देने के लिए इजरायल लौटे। इस लड़ाई में अपनी टीम की ओर से नेतन्याहू ने अहम भूमिका निभाई। मिस्र की सेना के खिलाफ स्वेज नहर के आस-पास चले स्पेशल फोर्सेज के अभियान में वह शामिल हुए। यही नहीं सीरिया के अंदर दाखिल होकर इन्होंने एक जटिल एवं मुश्किल कमांडो अभियान को अंजाम दिया। सीरिया में चलाया गया इनका अभियान आज भी 'क्लासीफाइड' है।

नेतन्याहू के भीतर है एक सैनिक

नेतन्याहू के भीतर एक सैनिक है जो उन्हें जुझारू एवं लड़ाई को अंत तक ले जाने की प्रेरणा देता है। हमास के हमलों के बाद बेंजामिन के बयान उनके सख्त इरादे एवं निर्णायक कार्रवाई की क्षमता को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई हमने शुरू नहीं की लेकिन इसे खत्म हम करेंगे। हम पर यह युद्ध क्रूर एवं वहशी तरीके से थोपा गया। उन्होंने कहा कि हमास ने हमला कर ऐतिहासिक भूल की है। हम हमास एवं इजरायल के अन्य दुश्मनों को ऐसी सजा देंगे कि उनकी पीढ़ियां दशकों तक इसे याद रखेंगी।

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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