India-Fiji Relations: फिजी में गूंजे 'भारत माता की जय' के नारे...यहां के राष्ट्रपति की पसंदीदा फिल्म है 'शोले'

विश्व हिंदी सम्मेलन के समापन समारोह में उस वक्त "भारत माता की जय" के नारे गूंज उठे जब फिजी के उप-प्रधानमंत्री बिमान प्रसाद ने कहा कि भारत अर्थव्यवस्था और राजनीति के मामले में विश्व के अगुवा देशों में से एक है।

फिजी के प्रधानमंत्री

फिजी में इन दिनों वर्ल्ड हिंदी कॉन्फ्रेंस चल रही है और इस दौरान भारत और फिजी की दोस्ती भी नए सिरे से परवान चढ़ रही है। यहां पीएम मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर के चर्चे तो हैं ही, हिंदी फिल्मों के लिए फिजी के राष्ट्रपति का प्यार भी साफ दिखा। इस कॉन्फ्रेंस में भारत माता की जय के नारे भी सुनाई पड़े। फिजी के प्रधानमंत्री,उप-प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने भारत की जमकर तारीफ की है।

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विश्व हिंदी सम्मेलन के समापन समारोह में उस वक्त "भारत माता की जय" के नारे गूंज उठे जब फिजी के उप-प्रधानमंत्री बिमान प्रसाद ने कहा कि भारत अर्थव्यवस्था और राजनीति के मामले में विश्व के अगुवा देशों में से एक है। फिजी के उप-प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर की जमकर प्रशंसा की और कहा कि भारत उनके नेतृत्व में सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। भारत ने 15 फरवरी को फिजी में 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया, जिसका उद्घाटन डॉ. एस जयशंकर और फिजी की प्रधानमंत्री सित्विनी राबुका ने किया था।

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भारत के 270 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने फिजी का दौरा कियाइस आयोजन के लिए भारत के 270 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने फिजी का दौरा किया और 50 देशों के प्रतिनिधियों ने इसमें भाग लिया। फिजी दक्षिण प्रशांत में 300 से अधिक द्वीपों का एक द्वीपसमूह है। इस आयोजन का विषय 'हिंदी - पारंपरिक ज्ञान से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस' था। भारत माता की जय के नारों के बीच प्रसाद ने कहा, अर्थव्यवस्था, राजनीति के मामले में भारत दुनिया के नेताओं में से एक है और विकासशील देशों का बड़ा नेता है। पीएम नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर के नेतृत्व में भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है।उन्होंने कहा, पिछले 10-15 वर्षों में हिंदी का प्रचार और प्रसार और हिंदी कैसे सिखाई जाती है, इसे कम किया गया है, इसे कमजोर किया गया। लेकिन हमारी सरकार ने हिंदी को मजबूत करने के लिए कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि आज जब मैं अपने पूर्वजों को याद करता हूं तो वे अपने साथ रामायण या गीता नहीं लेकर आए थे बल्कि अपनी संस्कृति को साथ लेकर आए थे।

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