भारत के इस पड़ोसी देश में सभी स्ट्रीट डॉग्स का हुआ बंध्याकरण, बना दुनिया का पहला मुल्क
Bhutan Street Dogs: एशिया में स्ट्रीट डॉग्स की आबादी करीब 30 करोड़ बताई जाती है। ये कुत्ते ज्यादातर भूखमरी, असाध्य बीमारियों, संक्रमण एवं हादसों का सामना करते हैं। कई जगहों पर सामूहिक रूप से इन्हें मार भी दिया जाता है। यही नहीं ये कुत्ते मनुष्यों के लिए भी खतरा बनते हैं।
भूटान सरकार ने 2009 में शुरू किया अभियान।
डेढ़ लाख से ज्यादा कुत्तों का बंध्याकरण
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साल 2009 से चलाए जा रहे इस अभियान में भूटान सरकार की मदद करने पर एचएसआई को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। एचएसआई को यह सम्मान पीएम शेरिंग ने दिया। बता दें कि अभियान के तहत भूटान में अब तक 150,000 से ज्यादा स्ट्रीट डॉग्स कां बंध्याकरण हुआ और उन्हें टीका लगाया गया। इसके अलावा 32,000 पेट डॉग्स में माइक्रो चिप लगाए गए।
बेतहाशा बढ़ सकती है स्ट्रीट ड्राग्स की आबादी
एशिया में स्ट्रीट डॉग्स की आबादी करीब 30 करोड़ बताई जाती है। ये कुत्ते ज्यादातर भूखमरी, असाध्य बीमारियों, संक्रमण एवं हादसों का सामना करते हैं। कई जगहों पर सामूहिक रूप से इन्हें मार भी दिया जाता है। यही नहीं ये कुत्ते मनुष्यों के लिए भी खतरा बनते हैं। कहा जाता है कि स्ट्रीट डॉग्स के बंध्याकरण एवं टीकाकरण के लिए यदि अभियान नहीं चलाया गया तो इनकी आबादी बेतहाशा बढ़ सकती है।
हर साल रेबीज से होती है 59,000 लोगों की मौत
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि हर साल दुनिया भर में करीब 59,000 लोगों की मौत रेबीज से होती है। मनुष्यों में रेबीज के ज्यादातर मामले कुत्तों के काटने से जुड़े होते हैं। खासतौर से एशिया में स्ट्रीट डॉग्स की आबादी पर नियंत्रण लगाने के लिए सरकारें ज्यादा गंभीरता नहीं दिखातीं। उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है। कई देशों में स्ट्रीट डॉग्स के साथ अमानवीय व्यवहार होता है। उन्हें बाड़े में बंद किया जाता है और मार दिया जाता है।
2009 से भूटान में शुरू हुआ अभियान
भूटान में स्ट्रीट डॉग्स के साथ सद्भावना दिखाते हुए सरकार ने साल 2009 में एचएसआई को अपने यहां आमंत्रित किया और इन कुत्तों के लिए एक उचित प्रबंधन तंत्र विकसित करते हुए अभियान शुरू किया। पहले राजधानी थिम्पू में इस अभियान का पायलट प्रोजेक्ट चला और फिर इसे देशव्यापी कर दिया गया।
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आलोक कुमार राव author
करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें
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