China कर रहा है अमेरिकी परमाणु लैब से शीर्ष वैज्ञानिकों का शिकार,जानें ड्रैगन के स्पेशल प्रोजेक्ट का डरावना सच

जानकारी के मुताबिक न्यू मेक्सिको के लॉस एलामॉस (Los Alamos ) नेशनल लैबोरेट्री में काम करने वाले साइंटिस्टों पर चीन डोरे डाल रहा है। चीन की इसी चालबाजी के कारण कई चाइनीज साइंटिस्ट अमेरिका से वापस चीन लौट चुके हैं।खास बात यह है कि इन साइंटिस्टों को वापस बुलाने के लिए चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने इसे टैलेंट प्रोग्राम नाम दिया है।

मुख्य बातें
  • चालबाज चीन के सुपर सीक्रेट मिशन का खुलासा
  • हाइपरसोनिक मिसाइल और ड्रोन बनाने में जुटा ड्रैगन
  • स्पेशल प्रोजेक्ट के लिए अमेरिका से साइंटिस्ट बुलाए, घातक हथियार बनाने में जुटा है चीन

China News: क्या चालबाज चीन सबसे बड़े तबाही का नापाक प्लान बनाने में जुटा हैमक्या अमेरिकी साइंटिस्टों (US Scientist) की मदद से ड्रैगन हाइपरसोनिक एडवांस मिसाइल सिस्टम (Missile System) डेवलप कर रहा है। क्या न्यूक्लियर लैब के अड्डे से बुलाए गए साइंटिस्टों की मदद से लाल सेना पूरी दुनिया पर जीत का ख्वाब पाले बैठा है। ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि बीते कुछ समय से चीन की गतिविधियां बेहद संदिग्ध हैं। क तरफ वो बड़ी संख्या में अमेरिका से साइंटिस्टों की फौज वापस ला रहा है, दूसरी ओर बेहिसाब रुपये भी इस प्रोजेक्ट पर लुटा रहा है। क्या है चीन का टैलेंट ट्रांसफर का सुपर सीक्रेट मिशन, इसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।

सीक्रेट मिशनये बेहद सीक्रेट मिशन का एक अहम हिस्सा है यहां छिप-छिपाकर गुपचुप तरीके से तबाही का सबसे बड़ा हथियार बनाया जा रहा है। ये ड्रैगन के टैलेंट ट्रांसफर का वो अड्डा है जिसे अबतक चालबाज चीन ने पूरी दुनिया से छिपाकर रखा था। यहां बंद कमरे के अंदर सुपर सीक्रेट मिशन पर काम हो रहा है और इसमें तबाही का साजो सामान तैयार किया जा रहा है। करोड़ों रुपये का लालच देकर पहले वैज्ञानिकों को अमेरिका से बीजिंग बुलाया गया और फिर उन्हें एक सीक्रेट लैब में मौत का सामान बनाने के लिए छोड़ दिया गया। चालबाज चीन जो कर रहा है वो दुनिया में बड़ी तबाही ला सकता है।अमेरिका और यूरोपिय देशों को और चुनौती देने के लिए ड्रैगन सीक्रेट मिशन पर बड़ी जोर-शोर से ना केवल काम कर रहा है बल्कि इसके लिए करोड़ों डॉलर भी खर्च कर रहा है।

खतरनाक है सपनाचीन इस सीक्रेट मिशन के जरिए पूरी दुनिया का बॉस बनना चाहता है। एक ऐसा ताकतवर मुल्क बनने की हसरत पाले हुए है जिसकी पूरी दुनिया गुलाम रहे और इसके लिए चीन ने ऐसी खौफनाक प्लानिंग को अंजाम देने में जुटा है जिसका एक-एक सच पूरी दुनिया के लिए स्याह साबित हो सकता है। अमेरिका का न्यूक्लियर प्रोग्राम लॉस एलामॉस में ही चलता है।चीन लौटे साइंटिस्टों को ड्रैगन ने अपने एडवांस ड्रोन और मिसाइल में प्रोग्राम में लगाया है। अमेरिका से चीन लौट ये साइंटिस्ट हाइपरसोनिक मिसाइल प्रोग्राम पर खास तौर से काम कर रहे हैं। एक तरफ जब रूस और यूक्रेन के बीच जबरदस्त जंग जारी है, दूसरी ओर ताइवान को हड़पने के लिए चीन पूरी तरह तैयार है।ऐसे में दुश्मनों को पस्त करने और उन्हें मात देने के लिए चाइनीज रेड आर्मी लंबे समय से काम कर रही है.. यह सुपर सीक्रेट मिशन उसी रेड आर्मी के प्लान का अहम हिस्सा।

कई वैज्ञानिकों को बुलाया वापसचीन किस तरह से न्यूक्लियर ताकत बढ़ाना चाहता है इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि चीन लौटे साइंटिस्टों में से 162 साइंटिस्ट इसी न्यू मेक्सिको के लॉस एलामॉस (Los Alamos ) नेशनल लैबोरेट्री में काम करते थे इस लैब में न्यूक्लियर बम तैयार किया जाता है और इस लैब को एटम बम का बर्थ प्लेस कहा जाता है। लाल सेना का सुल्तान जिनपिंग इस सीक्रेट मिशन की तैयारी लंबे समय से कर रहा है और इसके लिए पैसे भी पानी की तरह बहाया जा रहा है। चीन ने अपनी इस मिशन के जरिए सबसे बड़ी सेंधमारी अमेरिकी डिफेंस में की है। चीन ने रुपयों का लालच देकर अमेरिका के न्यूक्लियर बम के टॉप सिक्रेट रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों को ना केवल अप्रोच किया है बल्कि उनमें से कई साइंटिस्टों को अपने पास बुला लिया है.. इस सीक्रेट मिशन का सिंगल लाइन एजेंडा है सबसे घातक हथियार बनाना।

जानिए आंकड़ाअमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने टैलेंट ट्रांसफर के लिए एक सीक्रेट मिशन छेड़ा हुआ है। इसके तहत अमेरिका में काम करने वाले कुछ साइंटिस्टों को चीन की कम्युनिस्ट सरकार चोरी-छिपे पैसे भी भेजती है।साथ ही चीन लौटने के बाद अमेरिका में काम करने वाले वैज्ञानिकों को हाई सैलरी पर रखा जाता है। खास बात यह है कि बीते कुछ साल से चीन इस मिशन में बेहद तेजी से जुटा है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में 1415 चीनी साइंटिस्ट अपने देश यानी चीन लौटे जबकि साल 2020 में यह आंकड़ा 1162 साइंटिस्टों का था।

लगते रहे हैं आरोपलंबे समय से चीन इस तरह की गतिविधियों से जुड़ा है।लॉस एलामॉस न्यूक्लियर लैब सेंटर में काम करने वाले चाइनीज साइंटिस्टों पर चालबाज चीन की बुरी नजर लंबे समय से है। यहां काम करने वाले चाइनीज साइंटिस्टों पर पहले भी यहां की जानकारियां सीक्रेट तरीके से चीन भेजने के आरोप लगते रहे हैं। बदल में चीन इन साइंटिस्टों को अकूत दौलत और पैसे देता है..इसके जरिए एक ओर चीन की मंशा दुनिया के आर्म्स मार्केट पर एक ओर दबदबा बनाना है साथ ही वेस्टर्न टेक्नॉलोजी को भी अपनाना है.. चीन की तकनीक और हथियार अबतक भरोसमंद साबित नहीं हुए हैं.. लिहाजा चीन खास तौर से अमेरिका में काम करने वाले साइंटिस्टों के जरिए ड्रोन और न्यूक्लियर वेपन का एडवांस वर्जन डेवलप करने की कोशिश में है।

यूक्रेन जंग में यूक्रेन ने चालबाज चीन के पार्टनर रूस को पानी पिला रखा है। यूक्रेन के इस ताकत के पीछे अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश हैं। ब्रिटेन की अपग्रेडेड तकनीक को देखते हुए चीन ने पहले ही यूके आर्म्स फोर्स के 30 पूर्व पायलट को पहले ही तोड़ लिया है।ये पायलट चीन की मिलिट्री कैपेबिलिटीज और टैक्टिस बढ़ाने पर काम कर रहे हैं ताकि ताकत को बढ़ाया जा सके। अब लाल सेना के सुल्तान का यह सुपर सीक्रेट मिशन सामने आ चुका है।पूरी दुनिया को पता चल गया है कि चालबाज चीन किस तरह से तरह से चोरी चोरी चुपके चुपके अपनी ताकत को बढ़ाने में जुटा है।

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