पिछले 60 वर्षों में चीन की जनसंख्या में पहली बार आई कमी, अगर ऐसा रहा तो भारत निकल जाएगा आगे

चीन, दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। लेकिन आंकड़ों के मुताबिक पिछले 60 वर्षों में पहली बार जनसंख्या में गिरावट हुई है। अगर गिरावट की रफ्तार इस तरह से जारी रही तो जनसंख्या के मामले में भारत चीन से आगे निकला जाएगा

china population

चीन की आबादी में आई कमी

जनसंख्या के हिसाब से दुनिया में चीन पहले(China India population) नंबर पर और भारत दूसरे पायदान पर है। जनसंख्या को विकास के लिए जरूरी और घातक दोनों माना जाता है। दुनिया के बहुत से मुल्क ऐसे हैं जहां जनसंख्या की कमी उनके विकास में बाधक बनी हुई है तो बहुत से ऐसे मुल्क हैं जहां जनसंख्या की अधिकता नीति नियंताओं के लिए परेशानी की वजह हैं। इन सबके बीच जनसंख्या के मामले में भारत और चीन पर नजर डालना जरूरी हो जाता है। कोरोना महामारी के बीच इस तरह की खबर है कि पिछले 60 वर्षों में चीन की जनसंख्या में कमी आई है। अब यहां पर सवाल है कि इसका अर्थ क्या है। क्या भारत अब बहुत जल्द चीन से जनसंख्या के मामले में आगे निकल जाएगा। जानकारों का कहना है कि अगर बात भारत की करें को फर्टिलिटी रेट में कमी आई है। लेकिन भारत का जनसंख्या बेस ही वृद्धि के लिए जिम्मेदार है। चीन ने जब 1980 में एक बच्चा नीति(one child policy in china) पर काम करना शुरू किया तो उसका असर नजर आया। लेकिन अब चीन ने उस नीति को कहीं पीछे छोड़ दिया है।

जनसंख्या की गणित- भारत और चीन

  • भारत की आबादी- 1.417 बिलियन यानी 141 करोड़ अनुमानित(2021 का सेंसस अभी नहीं हुआ है।)
  • चीन की आबादी- 1.426 बिलियन यानी 142 करोड़
  • 2050 तक चीन की आबादी घट कर 1.31 बिलियन होने की संभावना, करीब आठ फीसद की कमी
  • 2064 तक भारत की आबादी 1.7 बिलियन होने की संभावना
  • चीन की जनसंख्या में कमी को देखें तो इसका अर्थ यह है कि भारत बहुत जल्द ही चीन से आगे निकल जाएगा।
  • 1950 में जनसंख्या के मामले में वैश्विक स्तर पर चीन और भारत की भागीदारी 35 फीसद थी।
  • 1980 में बढ़ती जनसंख्या पर लगाम लगाने के लिए एक बच्चा नीति को अमल में लाया और इसकी वजह से जन्म दर में कमी आई।
  • 2050 तक चीन की जनसंख्या मौजूदा आंकड़ों से आठ फीसद कम होगी
  • 2050 तक 15-64 आयु समूह में भारत में जनसंख्या में बढ़ोतरी होगी।

चीन में जनसंख्या में कमी की वजह

जानकारों का कहना है कि चीन में जीवन यापन की बढ़ती लागत, इसके साथ कार्यबल में महिलाओं की बढ़ती संख्या, और उच्च शिक्षा की वजह से जनसंख्या में कमी आ रही है। ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ विक्टोरिया के एक शोधकर्ता शिउजियान पेंग के मुताबिक चीनी लोग भी दशकों पुरानी एक-बच्चे की नीति के कारण छोटे परिवार के आदी हो रहे हैं।उन्होंने कहा कि चीनी सरकार को जन्म को प्रोत्साहित करने के लिए प्रभावी नीतियां ढूंढनी होंगी। अगर ऐसा नहीं होता है तो प्रजनन क्षमता और भी कम हो जाएगी। स्थानीय स्तर पर अधिकारियों ने पहले ही मां बाप को बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने के उपाय शुरू कर दिए हैं।

चीन में अब बच्चा पैदा करने पर जोर

दक्षिण चीन के शेनझेन में अब बच्चे के तीन साल का होने तक जन्म बोनस और भत्ते का भुगतान किया जा रहा है। पहला बच्चा पैदा करने वाले दंपति को तीन हजार युआन यानी 444 डॉलर मिलेंगे जो कि उनके तीसरे बच्चे के लिए बढ़कर 10,000 युआन हो जाएगा। जिनान शहर ने 1 जनवरी से दूसरे बच्चे वाले जोड़ों के लिए 600 युआन के मासिक वजीफे का भुगतान किया है। हाालंकि इन सबके बीच जानकार मानते हैं कि 2016 और 2021 के बीच प्रसव उम्र की महिलाओं की संख्या में गिरावट जो प्रति वर्ष पांच मिलियन तक गिर गई है उसका नकारात्मक असर पड़ेगा। जनसंख्या की उम्र बढ़ने का एक परिणाम यानी आबादी में बूढ़े लोगों की संख्या पर पेंग ने कहा कि घटती और बढ़ती आबादी चीन के लिए एक वास्तविक चिंता की वजह होगी।

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ललित राय author

खबरों को सटीक, तार्किक और विश्लेषण के अंदाज में पेश करना पेशा है। पिछले 10 वर्षों से डिजिटल मीडिया में कार्य करने का अनुभव है।और देखें

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