आर्थिक असमानता दूर करने, वैश्विक समस्याओं के हल के लिए UN मुख्यालय के सामने जुटेंगे नागरिक समाज संगठन
Global People's Assembly : इस पांचवी 'ग्लोबल पीपल्स असेंबली' में 400 से अधिक कार्यकर्ता शामिल होंगे। यह कार्यक्रम 30 क्षेत्रीय और राष्ट्रीय बैठकों और हजारों सामुदायिक कार्यों का नतीजा है, जो दुनिया भर में आयोजित हुए हैं। समुदायों के नेता और सिविल सोसाइटी समूह वैश्विक अन्याय के कारणों को खत्म करने, गरीब और जरूरतमंद लोगों के अधिकारों और उनकी आवश्यकताओं को प्राथमिकता देने की बात जोर-शोर से उठाएंगे।
ग्लोबल पीपुल्स असेंबली।
Global People's Assembly : विश्व के नेता जब 22-23 सितम्बर को UN'समिट ऑफ द फ्यूचर' में एक नई वैश्विक सहमति बनाने के लिए मिलेंगे, तो दूसरी तरफ दुनिया के सबसे हाशिए पर रहने वाले समुदायों के नेता एवं सिविल सोसाइटी समूह 'ग्लोबल पीपल्स असेंबली' कार्यक्रम के तहत UN मुख्यालय के सामने इकट्ठा होंगे। समुदायों के नेता और सिविल सोसाइटी समूह वैश्विक अन्याय के कारणों को खत्म करने, गरीब और जरूरतमंद लोगों के अधिकारों और उनकी आवश्यकताओं को प्राथमिकता देने की बात जोर-शोर से उठाएंगे।
'ग्लोबल पीपल्स असेंबली' में 400 से अधिक कार्यकर्ता शामिल होंगे
इस पांचवी 'ग्लोबल पीपल्स असेंबली' में 400 से अधिक कार्यकर्ता शामिल होंगे। यह कार्यक्रम 30 क्षेत्रीय और राष्ट्रीय बैठकों और हजारों सामुदायिक कार्यों का नतीजा है, जो दुनिया भर में आयोजित हुए हैं। राजस्थान के घुमंतू गाडिया लोहार (लुहार) समुदाय के लक्ष्मण गाडिया ने एक सभा में कहा, 'जब भी मैं एक झोपड़ी बनाने की कोशिश करता हूं, पुलिस हमें परेशान करती है। मैं दिनभर कड़ी मेहनत के बाद सिर्फ 100 रुपये (लगभग US$1.20) ही कमा पाता हूं। मेरे लिए अपने परिवार की बुनियादी जरूरतें पूरी करना बहुत मुश्किल है, शिक्षा और स्वास्थ्य की बात तो दूर है।' लक्ष्मण का कहना है कि जाति के कारण उन्हें निशाना बनाया जाता है और पीछे छोड़ दिया जाता है। उनकी समस्या अनोखी नहीं है।
समस्याओं का स्थायी हल निकालेंगे सिविल सोसाइटी संगठन
दुनिया भर में एक अरब से अधिक लोग, जिनमें से आधे बच्चे हैं, गरीबी में जी रहे हैं। जब तक भेदभाव और असमान राजनीतिक भागीदारी जैसी गहरी समस्याओं को सही ढंग से मापा और हल नहीं किया जाता, तब तक अमीर और गरीब के बीच की खाई बढ़ती जाएगी। इस चुनौती की गंभीरता को देखते हुए, 'ग्लोबल कॉल टू एक्शन अगेंस्ट पॉवर्टी' (GCAP) 22-24 सितम्बर तक तीन दिवसीय 'ग्लोबल पीपल्स असेंबली' का आयोजन कर रहा है। इसमें ऑक्सफॉम इंटरनेशनल, सिविकस और एक्शन फॉर सस्टनेबल डेवलपमेंट जैसे 52 सिविल सोसाइटी संगठनों और नेटवर्क्स के साथ काम किया जाएगा। ये सभी संगठन दुनिया के सामने आ रही समस्याओं का टिकाऊ और मानव-केंद्रित हल निकालने लिए सुझाव देंगे।
बढ़ते कर्ज संकट के समाधान की मांग
लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और एशियाई देशों के लिए एक बड़ी चुनौती बढ़ता हुआ कर्ज संकट है, जो कोविड-19 महामारी, यूक्रेन युद्ध और जलवायु परिवर्तन के कारण और भी गंभीर हो गया है। कई देशों में बजट का 30% या उससे अधिक हिस्सा कर्ज चुकाने में चला जाता है, जो स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए दी जाने वाली राशि से भी अधिक है। कर्ज का बोझ लोगों के विकास के अधिकार को रोकता है। एशियन पीपल्स मूवमेंट ऑन डेब्ट एंड डेवलपमेंट की माए बुएनावेंटुरा ने कहा-'वर्तमान में जो कर्ज राहत दी जा रही है, वह बहुत ही कम है। हमें इसका तुरंत और बिना शर्त समाधान चाहिए।'
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