बांग्लादेश में फिर बिगड़े हालात, छात्रों और अंसार ग्रुप के बीच हुई झड़प में कई घायल

ढाका विश्वविद्यालय के विभिन्न छात्रावासों के छात्र अंसार सदस्यों का सामना करने के लिए सचिवालय की ओर मार्च करने के लिए राजू मेमोरियल स्कल्पचर पर इकट्ठा हुए जिसके बाद टकराव शुरू हो गया।

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बांग्लादेश में फिर अशांति (File photo)

Clashes Between students And Ansar Members: तख्तापलट के बाद भी बांग्लादेश में अशांति और हिंसा बरकरार है। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में सचिवालय के पास रविवार रात छात्रों और अंसार सदस्यों के बीच हिंसक झड़प हो गई। ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, टकराव में दोनों पक्षों के कई लोग घायल हो गए। रात 9 बजे के बाद झड़प शुरू हो गई, जिसमें दोनों पक्षों ने पीछा करने का सिलसिला शुरू कर दिया। झड़प के बाद पुलिस ने मामले को संभालने की कोशिश की।

छात्रों का सचिवालय की ओर मार्च

ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, ढाका विश्वविद्यालय के विभिन्न छात्रावासों के छात्र अंसार सदस्यों का सामना करने के लिए सचिवालय की ओर मार्च करने के लिए राजू मेमोरियल स्कल्पचर पर इकट्ठा होने लगे। छात्र अंसार ग्रुप को निरंकुशता का एजेंट कह रहे थे। अंसार सदस्यों का एक समूह अंतरिम सरकार में भेदभाव के खिलाफ छात्रों के आंदोलन के सलाहकार और समन्वयक नाहिद इस्लाम, सरजिस आलम, हसनत अब्दुल्ला और अन्य छात्रों का सचिवालय में बंधक बना लिया था।

हसनत अब्दुल्ला ने की अपील

हसनत अब्दुल्ला ने एक फेसबुक पोस्ट में प्रदर्शनकारी अंसार सदस्यों की मांगें पूरी होने के बाद भी सचिवालय की लगातार नाकाबंदी के लिए अंसार के पूर्व महानिदेशक मेजर जनरल एकेएम अमीनुल हक को दोषी ठहराया। ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, हसनत ने सभी से ढाका विश्वविद्यालय में राजू मेमोरियल मूर्तिकला के सामने इकट्ठा होने का भी आग्रह किया। एकेएम अमीनुल हक पूर्व जल संसाधन उप मंत्री एकेएम इनामुल हक शमीम के बड़े भाई हैं।

अपनी नौकरियों के राष्ट्रीयकरण की मांग

हसनत अब्दुल्ला ने अपने फेसबुक पर लिखा, "हर कोई, राजू के पास पहुंचो। निरंकुश ताकतें अंसार फोर्स के जरिए वापसी की कोशिश कर रही हैं। उनकी मांगें पूरी होने के बाद भी हमें सचिवालय में बंद रखा गया।" इससे पहले गृह मामलों के लिए अंतरिम सरकार के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जहांगीर आलम चौधरी से आश्वासन मिलने के बाद अंसार सदस्यों ने अपना विरोध समाप्त कर दिया। सदस्य अपनी नौकरियों के राष्ट्रीयकरण की मांग को लेकर दो दिनों से प्रदर्शन कर रहे थे।
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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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