तुर्की-सीरिया में मुसीबतों की दोहरी मार, अपनों को खोने के बाद अब भूख-सर्दी का सितम

Turkey-Syria earthquake: भूकंप से सबसे ज्यादा नुकसान तुर्की को उठाना पड़ा है। जान-माल के नुकसान का स्तर इतना बड़ा है कि राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगन ने इसे 'शताब्दी की सबसे बड़ी तबाही' बताया है। रिपोर्टों में कहा गया है कि केवल तुर्की में साढ़े छह हजार से ज्यादा इमारतें ध्वस्त हो गई हैं।

तुर्की-सीरिया में मुसीबतों की दोहरी मार, अपनों को खोने के बाद अब भूख-सर्दी का सितम

Turkey-Syria earthquake: तुर्की और सीरिया में भूकंप ने भीषण तबाही मचाई है। इन दोनों देशों में मृतकों की संख्या बढ़कर 21 हजार के पार चली गई है। दुनिया भर की राहत एवं बचाव कार्य की टीमें मलबे में फंसे लोगों को निकालने एवं मानवीय मदद में जुटी हैं। लेकिन समय जैसे-जैसे बीत रह है वैसे-वैसे मलबे में दबे लोगों के जिंदा बचने की उम्मीद कम होती जा रही है। बावजूद इसके रेस्क्यू टीमों का हौसला कमजोर नहीं पड़ा है। राहत एवं बचाव कार्य में जुटी टीमों को मलबों से लोगों को जिंदा एवं सुरक्षित निकालने में कामयाबी भी मिल रही है। कई जगहों पर बच्चे, महिलाएं, युवा और बुजुर्ग मौत को मात देकर उठ खड़े हुए हैं।

'शताब्दी की सबसे बड़ी तबाही'

भूकंप से सबसे ज्यादा नुकसान तुर्की को उठाना पड़ा है। जान-माल के नुकसान का स्तर इतना बड़ा है कि राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगन ने इसे 'शताब्दी की सबसे बड़ी तबाही' बताया है। रिपोर्टों में कहा गया है कि केवल तुर्की में साढ़े छह हजार से ज्यादा इमारतें ध्वस्त हो गई हैं। करीब 13 लाख लोगों बेघर हो चुके हैं।

अधिकारियों का कहना है कि शुक्रवार तक तुर्की में 18,342 लोगों की जान जा चुकी है। मौत का यह आंकड़ा साल 1999 में आए भूकंप से हुई मौतों को पार कर गया है। 1999 में आए भूकंप से 17,000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। रिपोर्टों में अब तक सीरिया में भूकंप से 3,377 लोगों की मौत होने की खबर है।

पीड़ितों की आंखों में झलक रहा दर्दभूकंप की विनाशलीला का दर्द पीड़ितों की आंखों में झलक रहा है। अपनों के खोने और बेघर हो जाने की पीड़ा से लोग कराह रहे हैं। कुदरत के इस कहर का सामना लोगों को ऐसे समय करना पड़ा है जब दोनों देशों में भीषण ठंड पड़ रही है। बेघर हुए लोगों के पास रहने के लिए कोई उचित ठिकाना नहीं है। तुर्की के मारस में लोग एक बैंक में शरण लिए हैं। अपनी निजता बनाए रखने के लिए खिड़की पर शीट लगाई है। कुछ लोगों ने सड़क किनारे खुले मैदान में मेक शिफ्ट टेंट लगाया है। कंबल में लिपटे हुए लोगों को आग जलाकर सर्दी भगाते देखा गया है।

'सर्दी इतनी कि हम रात में सो नहीं पाए'भूकंप आने के बाद अलेप्पो से भागकर इबलिब प्रांत पहुंचीं मुनीरा मोहम्मद का कहना है कि 'यहां हमारे बच्चे हैं। हमें खुद को गर्म रखने और खाने-पीने के लिए सामग्रियों की जरूरत है। बीती रात इतनी ज्यादा ठंड थी कि हम पूरी रात सो नहीं सके। हमारा बहुत बुरा हाल है।' दरअसल, भीषण भूकंप के बाद भी इन दोनों देशों में छोटी तीव्रता के झटके आने थमे नहीं हैं। इससे लोग घबराए हुए हैं और जिनके मकान सुरक्षित हैं वे भी अपने घरों में जाने से डर रहे हैं। लोगों ने सुपरमार्केट की कार पार्किंग, मस्जिदों और सड़क किनारे मेकशिफ्ट शेल्टर्स बनाकर डेरा डाला है। इन जगहों पर लोगों ने राहत सामग्री न पहुंच पाने का आरोप लगाया है। लोगों का कहना है कि उनके पास खाने-पाने के लिए कुछ नहीं है।

...तो आ सकती है दूसरी बड़ी मानवीय आपदाइस बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बड़ी चेतावनी जारी की है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि तुर्की और सीरिया में बहुत बड़ा मानवीय संकट पैदा हो सकता है। संगठन ने कहा कि राहत सामग्री, खाने-पीने एवं चिकित्सा की चीजें प्रभावित लोगों तक पहुंचने में यदि देरी हुई तो एक दूसरी बड़ी मानवीय आपदा का सामना करना पड़ सकता है।

यूरोप के लिए डब्ल्यूएचओ के रिजनल डाइरेक्टर डॉक्टर हंस क्लूगे ने बीबीसी को बताया कि सीरिया में लोग पानी के लिए जलाशय पर निर्भर हैं और ये जलाशय क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इन्हें बदलने की जरूरत है। अगर इनकी मरम्मत नहीं हुई और ये बदले नहीं गए तो यहां कलरा फैल सकता है।

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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