फ्रांस में गर्भपात अब संवैधानिक अधिकार, ऐसा करने वाला पहला देश बना
France Abortion Laws: फ्रांस में गर्भपात को संवैधानिक अधिकार का दर्जा दे दिया गया है। शुक्रवार को राष्ट्रपति मैक्रों ने इस संविधान संशोधन को अपनी मंजूरी दे दी।अपने राष्ट्रीय चार्टर में गर्भपात के अधिकार को शामिल करने वाला फ्रांस पहला देश हो गया है।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने गर्भपात को संवैधानिक अधिकार का दर्जा दिया
France Abortion Laws: फ्रांस की इमैनुएल मैक्रों सरकार ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिलाओं को बड़ा तोहफा दिया। यहां अब गर्भपात को संवैधानिक अधिकार का दर्जा दे दिया गया है। शुक्रवार को राष्ट्रपति मैक्रों ने इस संविधान संशोधन को अपनी मंजूरी दे दी। 8 मार्च को इस संविधान संशोधन की कॉपी भी जारी कर दी।
फ्रांस के न्याय मंत्री एरिक डी. मोरेत्ती ने एक विशेष सार्वजनिक समारोह में, फ्रांस के संविधान में संशोधन को अंकित करने के लिए 19वीं सदी के प्रिटिंग प्रेस का उपयोग किया। इसके साथ ही, फ्रांस अपने राष्ट्रीय चार्टर में गर्भपात के अधिकार को शामिल करने वाला पहला देश हो गया है। बता दें, इस प्रावधान को फ्रांसीसी सांसदों ने इस सप्ताह के शुरूआत में मंजूरी दी थी।
पक्ष में पड़े थे 780 वोट
फ्रांस में गर्भपात को संवैधानिक अधिकार का दर्जा देने की मांग लंबे समय से हो रही है। बीते सोमवार को फ्रांसीसी सांसदों ने इस संविधान संशोधन को 72 के मुकाबले 780 मतों से मंजूरी दी थी और इस कदम का कई धुर दक्षिणपंथी सांसदों ने समर्थन किया था। बता दें, फ्रांस में अपने साथियों (पार्टनर) द्वारा महिलाओं की हत्या की दर लगातार उच्च रही है और मशहूर हस्तियों तथा अन्य पुरुषों द्वारा महिलाओं के किये जाने वाले यौन उत्पीड़न के खिलाफ मुकदमा चलाने की चुनौतियां बरकरार हैं।
संविधान संशोधन के बाद क्या बोले मैक्रों
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने के दौरान राष्ट्रपति मैक्रों ने घोषणा की कि वह यूरोपीय संघ के मौलिक अधिकारों के चार्टर में गर्भपात के अधिकार को शामिल करने के लिए काम करेंगे। उन्होंने कहा, आज कहानी का अंत नहीं बल्कि लड़ाई की शुरुआत है। हम अपने महाद्वीप, यूरोप में इस लड़ाई का नेतृत्व करने जा रहे हैं, जहां प्रतिक्रियावादी ताकतें महिलाओं के अधिकारों पर हमला कर रही हैं। बता दें, अमेरिका में, गर्भपात पर विचार बंटे हुए हैं। वहीं, लगभग पूरे यूरोप में इसे कानूनी मान्यता मिली हुई है। फ्रांस में इसे जोरदार समर्थन मिला है जहां इसे राजनीति के मुद्दे के बजाय लोक स्वास्थ्य का विषय माना जाता है।
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