न खाने का ठिकाना, न रहने का...गाजा के कैंपों में नारकीय जीवन जीने को मजबूर महिलाएं
इजराइल और हमास में महीनों से जंग जारी है। लाखों लोग बेघर हो चुके हैं, हजारों मारे जा चुके हैं। इजराइल गाजा में कब और कहां हमला कर दे, कहा नहीं जा सकता, ऐसे में शिवरों में भी हमले का डर लगा रहता है।
गाजा कैंप में महिलाओं की स्थिति खराब
इजराइल और हमास के बीच जारी जंग के कारण लाखों लोग बेघर हो गए हैं। इस युद्ध में सबसे ज्यादा दयनीय स्थिति महिलाओं और बच्चों की दिख रही है। महिलाएं गाजा में बने कैंप में नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। न सही से खाने का इंतजाम न सोने, बस किसी तरह से जिंदगी बची रही, इसी की कोशिश इन कैंपों में दिख रही है।
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लाखों महिलाएं कैंप में शरण लेने को मजबूर
इजराइल और हमास के बीच जारी जंग के चलते लाखों महिलाओं को शिविरों में शरण लेनी पड़ी है, लेकिन इन शिविरों में उनका जीवन किसी नरक से कम नहीं है। शिविरों के सामने मलमूत्र खुले में बह रहा है। बीमारियों के खतरे के बीच रह रहीं इन महिलाओं के पास माहवारी के दिनों से निपटने के लिए पर्याप्त साधन नहीं हैं। कपड़े बदलने के लिए परदेदारी वाला एक कोना तक ढूंढना मुश्किल है। शिविरों में लोगों की भीड़ के बीच महिलाओं को गरिमा के साथ जीने के वास्ते रोजाना संघर्ष करना पड़ता है।
शौचालय को लेकर बड़ी परेशानी
महिलाओं को तंबुओं में अपने बड़े परिवार के सदस्यों (पुरुषों सहित) के साथ रहना पड़ रहा है और कुछ ही कदमों की दूरी पर बने तंबुओं में अजनबी रहते हैं। ऐसे में उन्हें अपनी पोशाक एवं कपड़ों को लेकर हमेशा सजग रहना पड़ता है। मासिक धर्म से जुड़े उत्पाद उपलब्ध नहीं होने के कारण वे चादरें या पुराने कपड़ों को पैड की तरह इस्तेमाल करती हैं। इसके अलावा रेत में केवल एक गड्ढा खोदकर, उसके चारों ओर चादरें लटका कर कामचलाऊ शौचालय बनाए गए हैं।
इजराइल के हमले का लगा रहता है डर
अला हमामी हमेशा अपना वह काला दुपट्टा ओढ़े रखती हैं जिसे पहनकर वह नमाज पढ़ती हैं। हमामी का नमाज का यह दुपट्टा भी फटा हुआ है।
वह आम तौर पर केवल रोजाना नमाज अदा करते समय ही इसे ओढ़ा करती थीं लेकिन इतने सारे पुरुषों के आस-पास होने के कारण वह अब इसे इस डर से सोते समय भी पहने रखती है कि कोई इजराइली हमला होने पर उन्हें तुरंत ना भागना पड़े। तीन बच्चों की मां हमामी ने कहा, ‘‘हमें हर जगह नमाज के कपड़े पहनने पड़ रहे हैं, यहां तक कि हम बाजार जाते समय भी इसे पहनते हैं। अब गरिमा बची ही नहीं।’’
90 प्रतिशत से अधिक बेघर
गाजा में 14 महीने से जारी इजराइली हमलों ने 23 लाख फलस्तीनियों में से 90 प्रतिशत से अधिक को बेघर कर दिया है। उनमें से लाखों लोग अब बड़े-बड़े इलाकों में एक-दूसरे से सटे तंबुओं के गंदे शिविरों में रह रहे हैं। मलजल सड़कों पर बहता है और भोजन एवं पानी मिलना मुश्किल है। सर्दी का मौसम शुरू हो रहा है लेकिन परिवार अक्सर कई सप्ताह तक एक ही कपड़े पहनने को मजबूर हैं क्योंकि विस्थापन के दौरान वे कपड़े और कुछ अन्य आवश्यक सामान साथ नहीं ला पाए। शिविरों में रहने वाले हर व्यक्ति को प्रतिदिन भोजन, स्वच्छ पानी और ईंधन के लिए लकड़ी की तलाश रहती है। महिलाएं लगातार असुरक्षित महसूस करती हैं। गाजा का समाज हमेशा से रूढ़िवादी रहा है। अधिकतर महिलाएं उन पुरुषों की मौजूदगी में हिजाब पहनती हैं जो उनके पारिवारिक सदस्य नहीं होते। महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े मामलों - गर्भावस्था, मासिक धर्म और गर्भनिरोधक - पर आम तौर पर सार्वजनिक रूप से चर्चा नहीं की जाती।
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