Global warming: 2002 अंटार्कटिका में बर्फ पिघलने के लिए ग्लोबल वॉर्मिंग जिम्मेदार, रिपोर्ट
वैज्ञानिक बार बार चेतावनी दे रहे हैं कि अगर ग्लोबल वार्मिंग में ऐसे ही इजाफा होता रहा तो यह पृथ्वी रहने के लायक नहीं रह जाएगी।
Global warming: एक नए अध्ययन से पता चला है कि 2002 में अंटार्कटिक की ‘लार्सन बी’ बर्फीली चट्टान के ध्वस्त होने में असामान्य वायुमंडलीय और महासागरीय गर्मी ने भूमिका निभाई थी। उस घटना में रोड द्वीप के आकार का एक विशाल हिमक्षेत्र नाटकीय रूप से चट्टान से अलग हो गया था।अध्ययन का नेतृत्व करने वाले अमेरिका के पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी (पेन स्टेट) के वैज्ञानिकों ने कहा कि अध्ययन से पता चला है कि व्यापक रूप से प्रवाह बढ़ना और बार-बार छोटे-छोटे हिमशैल का पिघलना अंटार्कटिक में भविष्य में इस तरह बर्फीली परतों के अलग होने के संकेत हो सकते हैं।
‘अर्थ एंड प्लैनेटरी लेटर्स’ में रिपोर्ट का हवाला
‘अर्थ एंड प्लैनेटरी लेटर्स’ नामक पत्रिका में यह अध्ययन प्रकाशित हुआ है।वैज्ञानिकों ने कहा कि समुद्र स्तर में वृद्धि की सही भविष्यवाणी के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि लगातार गर्म तापमान में हिमशैल की स्थिति कैसी होती है।अध्ययन के प्रमुख लेखक और पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर शुजी वांग ने कहा कि लार्सन बी हिम शैल के ध्वस्त होने को आम तौर पर एक स्वतंत्र घटना के रूप में देखा जाता है। लेकिन हमारे अध्ययन से पता चलता है कि परत के पतन में असामान्य वायुमंडलीय और महासागरीय गर्मी ने भूमिका निभाई थी।
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