Google को झटका, अमेरिकी कोर्ट ने माना- 'मोनोपोली बनाने के लिए किया गैरकानूनी तरीकों का इस्तेमाल'
Google Monopoly: Google द्वारा स्मार्टफ़ोन और वेब ब्राउज़र पर डिफॉल्ट सर्च इंजन बनाने के लिए Apple और Samsung जैसी अन्य कंपनियों को प्रतिवर्ष अरबों डॉलर का भुगतान करने का आरोप लगाया गया था।
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Google Monopoly: Google को बड़ा झटका लगा है। अमेरिकी कोर्ट ने माना है कि गूगल ने मार्केट में अपनी मोनोपोली बनाने के लिए गैरकानूनी तरीकों का इस्तेमाल किया। इतना ही नहीं कंपनी ने इसके लिए Apple और Samsung जैसी कंपनियों को हर साल अरबों डॉलर रुपये का भगुतान भी किया था। अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज अमित पी मेहता ने यह फैसला सुनाया है। उन्होंने 277 पेज के फैसले में कहा है कि गूगल ने अपने डिस्ट्रिब्यूशन एग्रीमेंट प्रतिस्पर्धी कंपनियों को मार्केट में आने से ब्लॉक किया है।
टेक जगत में गूगल के खिलाफ आया यह फैसला काफी ऐतिहासिक माना जा रहा है। दरअसल, सर्च इंजन मार्केट में गूगल ने अपना कब्जा जमाया हुआ है, जबकि बाजार में अन्य सर्च इंजन भी हैं। इस फैसले के बाद दूसरे सर्च इंजन कंपनियों के बाजार में आने की उम्मीद बढ़ गई है।
क्या है मामला?
दरअसल, अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट और राज्यों ने गूगल के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। इसमें Google द्वारा स्मार्टफ़ोन और वेब ब्राउज़र पर डिफॉल्ट सर्च इंजन बनाने के लिए Apple और Samsung जैसी अन्य कंपनियों को प्रतिवर्ष अरबों डॉलर का भुगतान करने का आरोप लगाया गया था, जिससे गूगल की मोनोपोली बनी रहे और दूसरे कंपटीटर्स बाजार में उतर न पाएं।
जज ने अपने फैसले में क्या कहा?
अमेरिकी डिस्ट्रक्ट कोर्ट के जज ने कहा, गूगल एक एकाधिकारवादी कपंनी है और उसने मोनोपोली बनाए रखने के लिए एकाधिकारवादी की तरह काम किया है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, गूगल Apple के Safari और Mozilla के Firefox जैसे ब्राउज़रों पर डिफॉल्ट सर्च इंजन बनने के लिए सालाना अरबों डॉलर खर्च करती है। रिपोर्ट के अनुसार, Google ने 2021 में डिफ़ॉल्ट सर्च इंजन बनने के लिए Apple को लगभग 18 बिलियन डॉलर का भुगतान किया था। न्याय विभाग के शीर्ष एंटीट्रस्ट अधिकारी जोनाथन कैंटर ने एक बयान में कहा, यह ऐतिहासिक निर्णय Google को जवाबदेह बनाता है।
भारत में भी बढ़ी गूगल की मुसीबत
भारत में भी अलायंस ऑफ डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (एडीआईएफ) ने गूगल के कथित प्रतिस्पर्धा-रोधी व्यवहार के खिलाफ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) में शिकायत दर्ज कराई है। एडीआईएफ ने ऑनलाइन सर्च विज्ञापन और ऑनलाइन डिस्प्ले विज्ञापन बाजारों में गूगल की दबदबे की स्थिति और कथित रूप से अपमानजनक व्यवहार को चुनौती दी है। फाउंडेशन ने बयान में कहा कि प्रमुख ऑनलाइन मंच पर गूगल का प्रभुत्व और अपने राजस्व के अधिकांश हिस्से के लिए विज्ञापन पर निर्भरता प्रतिस्पर्धा में बाधा डालती है, इससे भारतीय व्यवसायों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। एडीआईएफ का तर्क है कि प्रमुख ऑनलाइन मंच पर गूगल के नियंत्रण के साथ ही यह तथ्य है कि कंपनी अपने राजस्व का 97 प्रतिशत विज्ञापन से हासिल करती है। बयान के मुताबिक, इससे ऐसे व्यवहार को बढ़ावा मिला है, जो प्रतिस्पर्धा को बाधित करती हैं और भारतीय व्यवसायों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती हैं।
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प्रांजुल श्रीवास्तव author
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