क्या पाकिस्तान आतंक का संरक्षक नहीं रहा, चार साल बाद FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर
फाइनेंसियल एक्शन टॉस्क फोर्स ने पाकिस्तान को करीब चार वर्ष के बाद ग्रे लिस्ट से बाहर कर दिया है।
शहबाज शरीफ, पीएम, पाकिस्तान
- एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से पाकिस्तान बाहर
- मनी लॉन्ड्रिंग पर की प्रभावी कार्रवाई
- 2018 से था ग्रे लिस्ट में
क्या पाकिस्तान ने अब आतंकवादियों को समर्थन देना बंद कर दिया है। क्या आंतकवाद के खिलाफ पाकिस्तान की मुहिम धारदार तरीके से आगे बढ़ रही है। क्या पाकिस्तान वास्तव में आतंकी संगठनों पर नकेल लगा पाने में कामयाब हो पा रहा है। दरअसल इसकी तस्दीक फाइनेंसियल एक्शन टॉस्क फोर्स का वो फैसला कर रहा है जिसमें पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से चार साल बाद बाहर कर दिया है। एफएटीएफ के मुताबिक एंटी मनी लॉन्ड्रिंग पर पाकिस्तान के सख्त रुख के नतीजे दिखाई दे रहे हैं। बता दें पाकिस्तान को 2018 में ग्रे लिस्ट में शामिल किया गया था।
मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ पाक ने की कार्रवाई
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पाकिस्तान ने अपने एएमएल/सीएफटी (धन शोधन विरोधी और आतंकवाद विरोधी वित्तपोषण) शासन की प्रभावशीलता को मजबूत किया है और रणनीतिक कमियों के संबंध में अपनी कार्य योजनाओं की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए तकनीकी कमियों को दूर किया है, जिसे एफएटीएफ ने जून 2018 और जून 2021 में पहचाना था। जिनमें से कुल 34 कार्रवाई मदों को शामिल करते हुए समय सीमा से पहले पूरा किया गया था। इसलिए पाकिस्तान अब FATF की बढ़ी हुई निगरानी प्रक्रिया के अधीन नहीं है। पाकिस्तान अपने एएमएल/सीएफटी सिस्टम को और बेहतर बनाने के लिए एपीजी के साथ काम करना जारी रखेगा।
भारत की प्रतिक्रिया
एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से पाकिस्तान के बाहर आने पर भारत की तरफ से प्रतिक्रिया आई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि एफएटीएफ में स्क्रूटनी की वजह से पाकिस्तान को कुछ बड़े आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा। उसमें वो आतंकी भी शामिल है जो मुंबई हमलों के लिए गुनहगार है। यह विश्व हित के लिए जरूरी है कि दुनिया के मुल्क इस बात को समझें कि पाकिस्तान को विश्वसनीय, पुष्ट कदम आतंकवाद के खिलाफ उठाने होंगे। पाकिस्तान को यह सुनिश्चिक करना होगा कि आतंकी संगठनों के वित्तीय स्रोतों पर प्रभावी कार्रवाई हो।
FATF में वर्तमान में 39 सदस्य
मसूद अजहर, सईद और लखवी भारत में कई आतंकवादी कृत्यों में शामिल होने के लिए मोस्ट वांटेड आतंकवादी हैं, जिनमें 26/11 मुंबई आतंकी हमले और 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ की बस पर बमबारी शामिल है। , नियामक, जांच, अभियोजन, न्यायिक और गैर-सरकारी क्षेत्र में मनी लॉन्ड्रिंग से लड़ने और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के लिए वैश्विक वित्तीय प्रणाली के लिए गंभीर खतरा माना जाता है। मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण पाकिस्तान ने 27 सूत्री कार्य योजना के तहत इन कमियों को दूर करने के लिए उच्च स्तरीय राजनीतिक प्रतिबद्धताएं की हैं। लेकिन बाद में कार्रवाई बिंदुओं की संख्या बढ़ाकर 34 कर दी गई।FATF एक अंतर-सरकारी निकाय है जिसकी स्थापना 1989 में मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता के लिए अन्य संबंधित खतरों से निपटने के लिए की गई थी।FATF में वर्तमान में 39 सदस्य हैं जिनमें दो क्षेत्रीय संगठन - यूरोपीय आयोग और खाड़ी सहयोग परिषद शामिल हैं।
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