यहां मरना है गैर कानूनी, शहर के सभी कब्रिस्तान पर जड़ा है ताला, जानिए क्यों
Longyearbyen : इसे देखते हुए नार्वे की सरकार ने साल 1950 में एक कानून बनाया। इस कानून के तहत शहर के आस-पास लोगों के मरने एवं उन्हें दफनाने को गैर-कानूनी घोषित कर दिया। यहां शहर के सभी कब्रिस्तान बंद रहते हैं। लेकिन जहां जिंदगी है, वहां मौत भी है।
नार्वे का अजीबो-गरीब कानून।
यह अजीबो गरीब कानून यहां की भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखकर बनाया गया है। लॉन्गइयरबेन दुनिया की सबसे ठंडी जगहों में से एक है। आर्कटिक के समीप स्थित इस शहर का न्यूनतम तापमान -46.3 डिग्री सेल्सियस तक रिकॉर्ड किया गया है। जबकि गर्मी के मौसम में इस शहर का अधिकतम तापमान तीन से सात डिग्री के बीच रहता है। मौसम की इस विषम परिस्थितियों में रहने वाले लोगों को यहां मरने पर प्रतिबंध है।
इस प्रतिबंध के पीछे जो वजह है वह भी यहां के तापमान एवं भौगोलिक स्थिति से जुड़ी हुई है। भयंकर सर्दी की वजह से इस शहर की धरती बेहद कठोर है। लाश को दफ्न करने के लिए खुदाई करना बेहद मुश्किल है। यही नहीं पहले जो लाशें दफ्न हैं, वे गलती नहीं। वे जमीन में ऐसे ही पड़ी रहती हैं। ठंडे तापमान की वजह से यहां सदियों पुराने वायरस एवं बैक्टीरिया भी मिले हैं। ऐसे में माना जाता है कि यदि किसी व्यक्ति की मौत किसी बीमारी से होती है तो उसका शव और बीमारी के वैक्टीरिया वर्षों तक सुरक्षित रहेंगे। लाशों से मनुष्य को खतरा बना रहेगा।
इसे देखते हुए नार्वे की सरकार ने साल 1950 में एक कानून बनाया। इस कानून के तहत शहर के आस-पास लोगों के मरने एवं उन्हें दफनाने को गैर-कानूनी घोषित कर दिया। यहां शहर के सभी कब्रिस्तान बंद रहते हैं। लेकिन जहां जिंदगी है, वहां मौत भी है। ऐसे में लॉन्गइयरबेन में यदि किसी की मौत हो जाती है तो उसे दफनाने के लिए 2000 किलोमीटर दूर नार्वे के मुख्य भाग में भेजा जाता है। यही नहीं, इस शहर में गर्भवती महिलाओं बच्चों को जन्म नहीं दे सकतीं। इस शहर में मेडिकल की अच्छी सुविधाएं नहीं हैं, इसलिए ऐसी महिलाओं को प्रसव से पहले मैनलैंड में भेजा जाता है।
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