इमरान खान करेंगे जिहाद ! क्या बड़े राजनीतिक संकट की ओर PAK
Imran Khan Hakiki Azadi March: अप्रैल 2022 में विश्वास मत खोने के बाद, प्रधानमंत्री पद से हटाए गए इमरान खान पर मौजूदा शहबाज शरीफ सरकार लगातार शिकंजा कस रही है। और इसी कड़ी में बीते 21 अक्टूबर को इमरान खान को पाकिस्तान निर्वाचन आयोग से बड़ा झटका लगा। उसने तोशखान केस में उन पर 5 साल के लिए किसी सार्वजिनक पद स्वीकार करने से रोक लगा दी थी।
शहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ इमरान खान का हल्ला बोल
- हकीकी आजादी मार्च लाहौर से शुरू होकर इस्लामाबाद तक निकालने की योजना है।
- बीते मई में भी इमरान खान निकाल चुके हैं आजादी मार्च, लेकिन हिंसा के बाद वापस ले लिया था।
- उप चुनाव में इमरान खान की पार्टी PTI को भारी जीत मिली है।
क्यों कर रहे हैं हकीकी आजादी मार्च
असल में अप्रैल 2022 में विश्वास मत खोने के बाद, प्रधानमंत्री पद से हटाए गए इमरान खान, पर मौजूदा शहबाज शरीफ सरकार लगातार शिकंजा कस रही है। और इसी कड़ी में बीते 21 अक्टूबर को इमरान खान को पाकिस्तान निर्वाचन आयोग से बड़ा झटका लगा। उसने तोशखान केस में उन पर 5 साल के लिए किसी सार्वजिनक पद स्वीकार करने से रोक लगा दी थी। साथ ही उनकी नेशनल असेंबली की सदस्यता भी चली गई। निर्वाचन आयोग ने तोशाखाना मामले पर कार्रवाई करते हुए यह फैसला सुनाया था। इमरान खान पर, प्रधानमंत्री रहते विदेशी नेताओं से प्राप्त उपहारों की बिक्री से हुई आय को छिपाने का आरोप था।
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार के सांसदों ने अगस्त 2022 में इमरान खान के खिलाफ पाकिस्तान के चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी। जिसमें इमरान खान पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए विदेश से मिले गिफ्ट को बेच दिया था। और खरीदे गए उपहारों की बिक्री से हुई इनकम का खुलासा नहीं किया था। इमरान ने चुनाव आयोग को बताया था कि उन्होंने तोशाखाने से इन सभी गिफ्ट्स को 2.15 करोड़ रुपए में खरीदा था। इन्हें बेचकर उन्हें करीब 5.8 करोड़ रुपए मिले थे।
हालांकि इमरान खान को निर्वाचन आयोग के इस फैसले के खिलाफ इस्लामाबाद उच्च न्यायालय से थोड़ी राहत जरूर मिली , जिसमें उसने बीते सोमवार को कहा कि इमरान खान को भविष्य में चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित नहीं किया गया है। इसके पहले इस बात के कयास थे कि इमरान अगले 5 साल के लिए चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे।
अप्रैल में सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद, इमरान खान ने पूरे घटनाक्रम को अमेरिकी साजिश का हिस्सा बताया था। उन्होंने कहा था कि रूस पर उनकी स्वतंत्र विदेशी नीति के फैसले के कारण यह साजिश रची गई थी। इमरान सरकार वर्ष 2018 में सत्ता में आई थी।
इस्लामाबाद तक जाएगा हकीकी आजादी मार्च
लाहौर में मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए इमरान खान ने कहा था कि उनका हकीकी आजादी मार्च 28 अक्टूबर को लिबर्टी चौक से शुरू होगा और वह खुद इसका नेतृत्व करेंगे।उन्होंने कहा कि हम किसी भी हिंसा के लिए इस्लामाबाद नहीं जा रहे हैं, हम कोई कानून नहीं तोड़ेंगे, हम उच्च सुरक्षा क्षेत्र रेड जोन में प्रवेश नहीं करेंगे, हम राजधानी में उस स्थान पर विरोध प्रदर्शन करेंगे, जिसे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नामित किया गया है। खान ने दोहराया कि मार्च में शामिल सभी लोग शांतिपूर्ण व्यवहार करेंगे। हकीकी आजादी के लिए हमारा मार्च होगा और इसकी कोई समय सीमा नहीं होगी। हम जीटी रोड से इस्लामाबाद पहुंचेंगे और संपूर्ण देश के लोग पाकिस्तान से इस्लामाबाद आएंगे। यह राजनीति से इतर कुछ अलग होगा। यह इन चोरों से आजादी की लड़ाई है जो हम पर थोपी गई है। यह जिहाद तय करेगा कि देश किस ओर जाएगा।
इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) लगातार मांग कर रही है कि शाहबाज शरीफ के 13 पार्टियों की गठबंधन सरकार फौरन इस्तीफा दे। कार्यवाहक सरकार बने और जल्द से जल्द चुनाव कराए जाएं। नेशनल असेंबली का कार्यकाल अगस्त 2023 में खत्म हो रहा है।
उप चुनावों में जीत से इमरान के हौसले बुलंद
भले ही इमरान खान के हाथ से सत्ता चली गई है, लेकिन मतदाताओं के बीच उनका समर्थन मजबूत दिख रहा है। और यह ताजा उप चुनावों के नतीजों में साफ दिखता है। इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए- इंसाफ (PTI)को उप चुनाव में एक तरफा जीत मिली है। बीते सोमवार को उप चुनाव के नतीजों में नेशनल असेंबली की आठ में से छह सीटों पर और प्रांतीय विधानसभा उप चुनाव की तीन में से दो सीट पर उनकी पार्टी को जीत मिली है। इमरान खान की पार्टी ने नेशनल असेंबली की सात सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से छह में जीत मिली है।
इमरान खान की पार्टी PTI की यह सफलता, शहबाज शरीफ सरकार के लिए बड़ा झटका है। क्योंकि अप्रैल में अविश्वास मत में हारने के बाद से सत्ता गंवा चुके इमरान लगातार जल्द चुनाव की मांग कर रहे थे। और उप चुनाव में जीत उनकी लोकप्रियता में गिरावट नहीं आने का संकेत भी है। यही कारण है कि वह हकीकी आजादी मार्च के जरिए शहबाज शरीफ सरकार पर दबाव बनाना चाहते हैं।
इमरान खान की तरह नवाज शरीफ पर भी लग चुका है प्रतिबंध
इमरान खान की तरह पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी प्रतिबंधों का सामना कर चुके है। साल 2018 में चुनाव के नामांकन में गलत जानकारी देने के आरोप में नवाज शरीफ पर कार्यवाही हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने नवाज शरीफ पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी शख्स को संविधान की धारा 62 (1) के तहत अयोग्य कर दिया गया तो वह आजीवन अयोग्य होगा। इसके बाद नवाज शरीफ लंदन में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं। नवाज शरीफ पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के भाई हैं। हालांकि अभी इमरान खान के सामने नवाज शरीफ जैसी नौबत नहीं आई है। लेकिन निर्वाचन आयोग का फैसला जिस तरह उप चुनाव के नतीजों के बाद आया है, उससे यह तो साफ है कि आने वाले समय में इमरान खान के सामने कई राजनीतिक चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं।
हिंसा के बाद मई में वापस ले लिया था आजादी मार्च
ऐसा पहली बार नहीं है कि इमरान खान आजादी मार्च निकाल रहे हैं। इसके पहले वह मई 2022 में आजादी मार्च निकाल चुके हैं। जो कि इस्लामाबाद पहुंचने पर हिंसक हो गया था। उस दौरान इमरान खान समर्थकों और पुलिस के बीच झड़प हुई थी। और मेट्रो स्टेशन पर भी आग लगा दी गई थी। जिसके बाद इमरान ने आजादी मार्च को खत्म कर दिया था। इसके पहले इमरान खान ने साल 2014 में नवाज शरीफ सरकार के खिलाफ आजादी मार्च निकाला था। इमरान खान ने वह मार्च 126 दिनों तक निकाला गया था। अब देखना यह है कि इमरान खान हकीकी आजादी मार्च से शहबाज शरीफ सरकार पर कितना दबाव बना पाते हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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