बेनजीर भुट्टो की रैली में हुई थी हत्या,इमरान की तरह सेना से था 36 का आंकड़ा,अब ये खतरा

Imran Khan Shot Bullet in Leg:बात साल 2007 की है, जब 27 दिसंबर को बेनजीर भुट्टो रावलपिंडी में एक चुनावी सभा से लौट रही थी। उस वक्त 15 साल के एक फिदायीन हमलावर बिलाल ने बेनजीर के पास पहुंच कर उनके सिर में तीन गोलियां मार दी थी। और उसके बाद खुद को बम से उड़ा दिया था।

Imran khan and Benazir Bhutto

15 साल पहले इमरान की तरह बेनजीर भुट्टो पर हमला हुआ था।

मुख्य बातें
  • पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने एक इंटरव्यू में यह कहा था कि शायद बेनजीर भुट्टो के कत्ल में पाकिस्तान का इस्टैबलिशमेंट शामिल था।
  • अप्रैल 2022 में जब से इमरान खान की सत्ता गई है, उस वक्त से उनके निशाने पर आईएसआई और सेना हैं।
  • उप चुनाव में मिली बड़ी जीत से उत्साहित इमरान जल्द चुनाव का दबाव बना रहे हैं।

Imran Khan Shot Bullet in Leg:पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर गोली मारकर हमला किया गया है। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार पाकिस्तान के वजीराबाद में जफर अली खान चौक के पास इमरान खान के कंटेनर के पास फायरिंग हुई। और उस फायरिंग में उनको निशाना बनाया गया। इस हमले में इमरान खान के पैर में गोली लगी है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (PTI)के प्रमुख इमरान खान 28 अक्टूबर से हकीकी आजादी मार्च शुरू किया था और इसे 6 नवंबर को इस्लामाबाद में खत्म होना था।

इमरान इस मार्च के लिए जरिए शहबाज शरीफ सरकार पर जल्द चुनाव कराने का दबावा बनाना चाहते हैं। उन पर हुए हमला पाकिस्तान में एक नए राजनीतिक संकट को खड़ा कर सकता है। इमरान पाकिस्तान के कोई पहले पूर्व प्रधानमंत्री नहीं हैं, जिन पर हमला हुआ है। इसके पहले साल 2007 में पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो पर भी इसी तरह एक रैली में हमला हुआ था। और गोली लगने से उनकी मौत हो गई थी।

बेनजीर भुट्टो को 3 गोली मारी गई थी

बात साल 2007 की है, जब 27 दिसंबर को बेनजीर भुट्टो रावलपिंडी में एक चुनावी सभा से लौट रही थी। उस वक्त 15 साल के एक फिदायीन हमलावर बिलाल ने बेनजीर के पास पहुंच कर उनके सिर में तीन गोलियां मार दी थी। और उसके बाद खुद को बम से उड़ा दिया था। उस वक्त बेनजीर भुट्टो अपनी कार से बाहर निकल लोगों का अभिवादन स्वीकार कर रही थी। बेनजीर भुट्टो किसी भी मुस्लिम देश में चुनी जाने वाली पहली महिला प्रधानमंत्री थी। बेनजीर भुट्टो दो बार प्रधानमंत्री बनीं लेकिन लेकिन उनके फौज से रिश्ते अच्छे नही रहे। और इसी वजह से उन्हें सत्ता से बाहर का रास्ता भी देखना पड़ा।

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के तानाशाह जनरल और पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने एक इंटरव्यू में यह कहा था कि शायद बेनजीर भुट्टो के कत्ल में पाकिस्तान का इस्टैबलिशमेंट शामिल था। आम तौर में पाकिस्तान में इस्टैबलिशमेंट का मतलब फौज होता है।

इमरान के निशाने पर आईएसआई और सेना

अप्रैल 2022 में जब से इमरान खान की अविश्वास प्रस्ताव के बाद, सत्ता गई है, उस वक्त से वह उसे अमेरिकी साजिश बताते रहे हैं। और इसके लिए वह कई बार पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल बाजवा और आईएसआई को आड़े हाथ लेते रहे हैं। आईएसआई प्रमुख नदीम अंजुम को चेतावनी देते हुए कहा कि डीजी आईएसआई, कान खोलकर सुन लो, मैं बहुत कुछ जानता हूं। मैं इसलिए चुप हूं क्योंकि मैं अपने देश को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता। इमरान खान के इस हमले के एक दिन पहले नदीम अंजुम ने कहा था कि इमरान खान रात के अंधेरे में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से गले मिलते हैं और दिन के उजाले में उन्हें गद्दार कहते हैं। यह नहीं चलने वाला है।

इमरान क्यों कर रहे हैं हकीकी आजादी मार्च

असल में प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने के बाद से इमरान खान पर मौजूदा शहबाज शरीफ सरकार लगातार शिकंजा कस रही है। और इसी कड़ी में बीते 21 अक्टूबर को इमरान खान को पाकिस्तान निर्वाचन आयोग से बड़ा झटका लगा। उसने तोशखाना केस में इमरान पर 5 साल के लिए किसी सार्वजिनक पद स्वीकार करने से रोक लगा दी थी। साथ ही उनकी नेशनल असेंबली की सदस्यता भी चली गई। इमरान खान पर, प्रधानमंत्री रहते विदेशी नेताओं से प्राप्त उपहारों की बिक्री से हुई आय को छिपाने का आरोप था।

हालांकि इमरान खान को निर्वाचन आयोग के इस फैसले के खिलाफ इस्लामाबाद उच्च न्यायालय से थोड़ी राहत जरूर मिली , जिसमें उसने कहा कि इमरान खान को भविष्य में चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित नहीं किया गया है। इसके पहले इस बात के कयास थे कि इमरान अगले 5 साल के लिए चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे।अप्रैल में सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद, इमरान खान ने पूरे घटनाक्रम को अमेरिकी साजिश का हिस्सा बताया था। उन्होंने कहा था कि रूस पर उनकी स्वतंत्र विदेशी नीति के फैसले के कारण यह साजिश रची गई थी। इमरान सरकार वर्ष 2018 में सत्ता में आई थी।

उप चुनाव में मिली बड़ी जीत

भले ही इमरान खान के हाथ से सत्ता चली गई , लेकिन मतदाताओं के बीच उनका समर्थन मजबूत दिखता है। और यह ताजा उप चुनावों के नतीजों में साफ हो गया है। इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए- इंसाफ (PTI)को उप चुनाव में एक तरफा जीत मिली है। उप चुनाव के नतीजों में नेशनल असेंबली की आठ में से छह सीटों पर और प्रांतीय विधानसभा उप चुनाव की तीन में से दो सीट पर उनकी पार्टी को जीत मिली है। इमरान खान की पार्टी ने नेशनल असेंबली की सात सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से छह में जीत मिली है। इसे देखते हुए लगातार इमरान खान शाहबाज शरीफ की 13 पार्टियों की गठबंधन सरकार से फौरन इस्तीफा का दबाव बने रहे हैं। उनकी पार्टी की मांग है कार्यवाहक सरकार बने और जल्द से जल्द चुनाव कराए जाएं। नेशनल असेंबली का कार्यकाल अगस्त 2023 में खत्म हो रहा है।

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प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

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