Chabahar Port: पाकिस्तान-चीन को बहुत बड़ा झटका, भारत-ईरान के बीच चाबहार पोर्ट पर हुई डील
Chabahar Port: इस समझौते के तहत भारत चाबहार पोर्ट के शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह के जनरल कार्गो और कंटेनर टर्मिनल का संचालन एवं इसका विकास करेगा। इस ऐतिहासिक डील पर केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल और ईरान के सड़क एवं शहरी विकास मंत्री मेहरदाद बजरपाश ने हस्ताक्षर किए।
ईरान और भारत के बीच समझौता।
Chabahar Port: चाबहार पोर्ट के संचालन पर ईरान के साथ भारत का सोमवार को समझौता हो गया। इस डील से भारत को बहुत बड़ी कूटनीतिक जीत हुई है। इस समझौते के तहत भारत चाबहार पोर्ट के शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह के जनरल कार्गो और कंटेनर टर्मिनल का संचालन एवं इसका विकास करेगा। इस ऐतिहासिक डील पर केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल और ईरान के सड़क एवं शहरी विकास मंत्री मेहरदाद बजरपाश ने हस्ताक्षर किए।
डील से भारत के कई रणनीतिक हित सधेंगे
इस करार के बाद भारत अगले 10 वर्षों तक सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस बंदरगाह का प्रबंधन करेगा। यह डील भारत के लिए काफी अहम है क्योंकि इससे एक साथ क्षेत्र में उसके कई रणनीतिक हित सधेंगे। इस करार से ईरान के साथ भारत की साझेदारी एवं आपसी रिश्ते और मजबूत हुए हैं। मध्य पूर्व के युद्धों एवं हमास को मदद पहुंचाने के आरोपों से घिरे ईरान के लिए यह समझौता उसे राहत देने वाला भी है।
विदेश में किसी बंदरगाह का पहली बार प्रबंधन करेगा भारत
यह पहली बार है जब भारत विदेश में किसी बंदगाह का प्रबंधन करेगा। चाबहार बंदरगाह की रणनीतिक एवं भूस्थानिक महत्व बहुत ज्यादा है। यहां से भारत की अफगानिस्तान, मध्य एशिया और यूरेशियन क्षेत्र तक पहुंच एवं कनेक्टिविटी बहुत आसान हो जाएगी। इसे चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव और पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट की एक काट के तौर पर भी देखा जा रहा है।
फिर पाकिस्तान की जरूरत नहीं पड़ेगी
इस पोर्ट को लेकर भारत की दूसरी योजना भी है। रिपोर्टों की मानें तो आने वाले समय में भारत इस बंदरगाह को इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरीडोर (INSTC) से जोड़ने की भी है। यह कॉरीडोर ईरान के जरिए भारत को रूस से जोड़ देगा। फिर अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंचने के लिए भारत को पाकिस्तान की जरूरत नहीं पड़ेगी।
85 मिलियन डॉलर का निवेश करेगा भारत
पोर्ट के विकास में भारत 85 मिलियन डॉलर का निवेश करेगा। बंदरगाह के विकास के लिए भारत पहले ही मिलियन डॉलर कीमत के उपकरण ईरान को दे चुका है। शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल को विकसित करने के लिए भारत ने मई 2016 में ईरान और अफगानिस्तान के एक त्रिपक्षीय समझौता किया। यूरेशियन देश कजाकिस्तान, उब्जेकिस्तान भी चाबहार पोर्ट का इस्तेमाल करते हुए हिंद महासागर और भारतीय बाजार तक पहुंचने की दिलचस्पी दिखा चुके हैं।
पाकिस्तान को बड़ा झटका
कुल मिलाकर यह पोर्ट मध्य एशिया में आर्थिक गतिविधियां बढ़ाएगा जिससे सभी को लाभ होगा। जबकि पाकिस्तान चाहता था कि भारत के बाजारों तक पहुंचने के लिए ये देश उसके कराची बंदरगाह का इस्तेमाल करें लेकिन भारत पहले ही संकेत दे चुका था कि कराची के मुकाबले चाबहार पोर्ट उनके लिए ज्यादा फायदा का सौदा होगा। अर्मेनिया भी आईएनएसटीसी के जरिए चाबहार पोर्ट से जुड़ने की दिलचस्पी दिखा चुका है।
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आलोक कुमार राव author
करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने...और देखें
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