भारत से पंगा लेना जस्टिन ट्रूडो को पड़ रहा भारी, खुद की पार्टी में ही हो रही किरकरी; सांसदों ने इस्तीफे की मांग की तेज
India Canada Tension: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की चौतरफा अलोचना हो रही है और अब घरेलू राजनीति में भी उनकी परेशानी बढ़ती जा रही है। उनकी ही पार्टी के सांसदों ने कुछ अन्य सांसदों के साथ मिलकर आधिकारिक तौर पर उनका इस्तीफा मांगने की योजना बनाई है। इससे पहले लिबरल सांसद सीन केसी ने खुले तौर पर पार्टी के प्रमुख के रूप में ट्रूडो के इस्तीफे की मांग की थी।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो
India Canada Tension: घरेलू और विदेशी, दोनों मोर्चों पर मुश्किलों में घिरे कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) की परेशानी और बढ़ सकती है। उनकी अपनी पार्टी के तथा कुछ अन्य सांसदों ने, जो अब तक सार्वजनिक रूप से उनकी आलोचना कर रहे थे, अब आधिकारिक तौर पर उनका इस्तीफा मांगने की योजना बनाई है।
क्या है पूरा मामला?
कनाडा के प्रमुख दैनिक 'द ग्लोब एंड मेल' ने गुरुवार को बताया कि कम से कम 20 सांसद ट्रूडो को पद से हटाने की मांग पर हस्ताक्षर के लिए सहमत हुए हैं। अखबार के अनुसार, उन्हें बाहर करने की कोशिशें अब एक गंभीर प्रयास में बदलती दिख रही हैं। अखबार ने कहा कि उम्मीद है कि कॉकस सदस्य कुछ ही दिनों में पार्टी नेतृत्व से ट्रूडो के आधिकारिक इस्तीफे की मांग करेंगे।
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अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है, "तीन लिबरल सांसदों ने 'द ग्लोब एंड मेल' को बताया है कि उन्हें उम्मीद है कि मांग दो चरणों में प्रस्तुत की जाएगी, पहला- इस सप्ताह के अंत तक लिखित में कहा जाएगा कि घटक सांसदों को बता रहे हैं कि ट्रूडो को पद छोड़ने की जरूरत है; और दूसरा- बुधवार को ओटावा में पार्टी की अगली कॉकस बैठक में एक ओपन माइक्रोफोन सत्र में।"
ट्रूडो के इस्तीफे की हो रही मांग
इससे पहले बुधवार को, लंबे समय से चार्लोटटाउन के लिबरल सांसद सीन केसी ने खुले तौर पर पार्टी के प्रमुख के रूप में ट्रूडो के इस्तीफे की मांग की थी। केसी ने एक साक्षात्कार में सीबीसी न्यूज नेटवर्क को बताया, "लोग काफी बर्दाश्त कर चुके हैं। वे अब उन्हें महत्व नहीं दे रहे हैं। वे चाहते हैं कि वह हट जाएं।"
उन्होंने कहा, "मुझे जो संदेश मिल रहा है वह जोरदार और स्पष्ट है (और समय के साथ और भी अधिक मजबूती हो रहा है) कि अब (ट्रूडो के) जाने का समय है। और मैं सहमत हूं।"
केसी ने 'पावर एंड पॉलिटिक्स' शो के होस्ट डेविड कोचरन के साथ अपने साक्षात्कार के दौरान कहा कि ट्रूडो के नेतृत्व को लेकर लिबरल कॉकस में "बड़े पैमाने पर चिंता" है। उन्होंने कहा, "मैं कहूंगा कि यह जितना दिखता है उससे कहीं अधिक व्यापक है। ऐसे बहुत से लोग हैं, जो चिंतित हैं।"
ट्रूडो की हो रही चौतरफा आलोचना
कनाडा की चुनावी प्रक्रियाओं और लोकतांत्रिक संस्थानों में विदेशी हस्तक्षेप की सार्वजनिक जांच में गवाही देने वाले ट्रूडो को इस दावे के बाद और आलोचनाओं का सामना करना पड़ा कि उनके पास कंजर्वेटिव सांसदों के नाम हैं, जो विदेशी हस्तक्षेप में शामिल हैं। प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में शामिल कार्लटन के सांसद पियरे पोइलिवरे ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए ट्रूडो को उन सभी सांसदों के नाम जारी करने की चुनौती दी, जिन्होंने विदेशी हस्तक्षेप में सहयोग किया है।
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कनाडाई प्रधानमंत्री के बयान के बाद कनाडा की कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पोइलिवरे ने कहा, "जस्टिन ट्रूडो वही कर रहे हैं, जो वह हमेशा करते हैं: वह झूठ बोल रहे हैं। वह अपने नेतृत्व और खुलासों के खिलाफ लिबरल कॉकस के विद्रोह से ध्यान भटकाने के लिए झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने जानबूझकर बीजिंग को हस्तक्षेप करने और दो चुनाव जीतने में मदद करने की अनुमति दी।
ट्रूडो ने पोइलिवरे से की यह अपील
उन्होंने कहा कि अगर जस्टिन ट्रूडो के पास सबूत हैं तो उन्हें इसे जनता के साथ साझा करना चाहिए। अब जब उन्होंने जांच आयोग में इसे सामान्य शब्दों में उजागर कर दिया है, तो उन्हें तथ्यों को जारी करना चाहिए। लेकिन वह ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि यह मनगढ़ंत है।
इस साल की शुरुआत में, एक अन्य लिबरल सांसद केन मैकडोनाल्ड ने अपनी चिंता व्यक्त की थी जब उनसे पूछा गया था कि क्या ट्रूडो लिबरल पार्टी का नेतृत्व करने के लिए सही नेता हैं।
'ट्रूडो ने नहीं दिया कोई सबूत'
दिलचस्प बात यह है कि बुधवार को उसी गवाही में ट्रूडो ने स्वीकार किया था कि पिछले साल खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए भारत पर आरोप लगाने से पहले ओटावा के पास केवल कुछ खुफिया इनपुट थे और कोई "ठोस सबूत" नहीं था। भारत ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि ट्रूडो राजनीतिक लाभ के लिए भारत को बदनाम करने की "सोची-समझी रणनीति" पर काम कर रहे हैं।
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को कहा, "आज हमने जो सुना है वह केवल उस बात की पुष्टि करता है, जो हम लगातार कहते आ रहे हैं - कनाडा ने भारत और भारतीय राजनयिकों के खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोपों के समर्थन में हमें कोई भी सबूत नहीं दिया है। इस गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार के कारण भारत-कनाडा संबंध को हुए नुकसान के लिए सिर्फ प्रधानमंत्री ट्रूडो जिम्मेदार हैं।"
(इनपुट: आईएएनएस)
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