India-U.S. Relationship: अमेरिका बेचेगा भारत को MQ-9B ड्रोन, खुफिया जानकारी जुटाने में है माहिर

India-U.S. Relationship: अमेरिका ने 3.99 अरब अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत पर भारत को 31 एमक्यू-9बी सशस्त्र ड्रोन बेचेगा। ये ड्रोन भारत को अपनी सीमाओं पर निगरानी क्षमता बढ़ाने और संभावित खतरों की निगरानी करने में सक्षम बनाएगा।

MQ 9B Drone

MQ-9B ड्रोन जल्द करेंगे भारत की सीमाओं पर निगरानी

India-U.S. Relationship: भारत को गोला-बारूद के साथ 31 एमक्यू-9बी स्काईगार्डियन सशस्त्र ड्रोन बेचने के लिए अमेरिकी कांग्रेस की सौदे की समीक्षा की अवधि शुक्रवार को खत्‍म हो गई और इसी के साथ अगला कदम उठाने का रास्ता अब साफ हो गया है। ये सशस्त्र ड्रोन खुफिया जानकारी जुटाने, निगरानी, टोही और भूमि, वायु और समुद्री युद्ध के लिए हैं। भारत के पास इनमें से दो ड्रोन - एमक्यू-9ए - निर्माता जनरल एटॉमिक्स से कंपनी-लीज और ऑपरेशन के आधार पर हैं। भारत ने गोला-बारूद के साथ ड्रोन के जिस पूरे पैकेज की मांग की है, उसकी अनुमानित लागत 3.99 अरब डॉलर होगी।

ड्रोन 161 एम्बेडेड ग्लोबल पोजिशनिंग और इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम के साथ आएंगे; 35 एल3 रियो ग्रांडे कम्युनिकेशंस इंटेलिजेंस सेंसर सूट; 170 एजीएम-114आर हेलफायर मिसाइलें; 16 एम36ई9 हेलफायर कैप्टिव एयर ट्रेनिंग मिसाइलें; 310 जीबीयू-39बी/बी लेजर छोटे व्यास वाले बम और आठ जीबीयू-39बी/बी एलएसडीबी गाइडेड टेस्ट वाहन लाइव फ्यूज भी होंगे। इन ड्रोनों की प्रस्तावित बिक्री की घोषणा जून 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाशिंगटन डी.सी. यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा की गई थी। प्रशासन ने 1 फरवरी को कांग्रेस को सौदे के बारे में सूचित किया था। प्रस्तावित सौदे पर आपत्तियां उठाने के लिए सांसदों को 30 दिन का समय दिया जाएगा, जिससे यह माना जाएगा कि इसका कोई विरोध नहीं है और अब ये अवधि समाप्त हो गई है। बता दें इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा था कि हमारा मानना है कि इस बिक्री से भारत की समुद्री सुरक्षा और समुद्री क्षेत्र जागरूकता क्षमता बढ़ेगी। पटेल ने कहा था कि यह (सौदा) भारत को इन विमानों का पूर्ण स्वामित्व प्रदान करता है और इस क्षेत्र में हम अपने भारतीय भागीदारों के साथ सहयोग को गहरा करना जारी रखेंगे।

MQ-9B ड्रोन की क्या है खासियत

जानकारी के लिए बता दें कि ये ड्रोन भारत को अपनी सीमाओं पर निगरानी क्षमता बढ़ाने और संभावित खतरों की निगरानी करने में सक्षम बनाएगा। हिन्द-महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे पर नजर रखने के लिए भी इन ड्रोन का इस्तेमाल होगा है। इस तरह के सशस्त्र ड्रोन फाइटर पायलटों द्वारा उड़ाए जाने वाले लड़ाकू विमानों की तरह दुश्मन के ठिकानों पर मिसाइलें और गोला-बारूद दागने की क्षमता रखते हैं। ये ड्रोन निगरानी और टोह लेने में सक्षम हैं और उनका सशस्त्र संस्करण हेलफायर मिसाइलों से लैस है। ये ड्रोन लंबी दूरी तक उड़ान भर खुफिया जानकारी जुटाने और निगरानी रखने में माहिर है। इनका इस्तेमाल मानवीय सहायता, आपदा राहत, खोज और बचाव, एयरबोर्न अर्ली वार्निंग, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, एंटी-सरफेस वॉरफेयर और एंटी-सबमरीन वॉरफेयर में किया जा सकता है। इन ड्रोन को नशीले पदार्थों की तस्करी और समुद्री डकैती जैसी स्थितियों से निपटने के लिए भी तैनात किया जा सकता है। ये ड्रोन हर तरह के मौसम में करीब 30 से 40 घंटे तक की उड़ान एक बार में भर सकते हैं। ये ड्रोन 40000 फीट तक की ऊंचाई तक उड़ान भरने की क्षमता रखते हैं।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | दुनिया (world News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

Shashank Shekhar Mishra author

शशांक शेखर मिश्रा टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल (www.timesnowhindi.com/ में बतौर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। इन्हें पत्रकारिता में करीब 5 वर्षों का अनुभव ह...और देखें

End of Article

© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited