गश्त-ए-इरशाद को ईरान ने किया भंग, क्या भारत में हिजाब पर सोच में आएगा बदलाव
ईरान ने मॉरैलिटी पुलिस को भंग करने का फैसला तो जरूर किया है। लेकिन जमीन पर क्या ईरानी महिलाएं स्वतंत्र तरीके से अपनी इच्छा से पोशाक पहन कर आवाजाही कर सकेंगी यह एक बड़ा सवाल है।
जिस मॉरैलिटी पुलिस को लेकर ईरान में इतना बवाल हुआ। और जिसे अब ईरान खत्म करने के बारे में सोच रहा है। उस मॉरैलिटी पुलिस के बारे में आपको बताता हूं। मॉरैलिटी पुलिस को ईरान में गश्त-ए-इरशाद कहा जाता है। इसे 2006 में बनाया गया था जो सड़कों पर गश्त लगाती है और इस्लामी कानूनों और पहनावे के नियमों को सख्ती से लागू करती है। पहनावा सही ना होने पर ये मॉरैलिटी पुलिस तुरंत अरेस्ट कर लेती है। हाथ-पैर दिखने या रंगबिरंगे कपड़े पहनने पर भी गिरफ्तारी हो जाती है। कई बार ये मॉरैलिटी पुलिस मारपीट करती है। और इस मारपीट में कई बार लोगों की जान भी चली जाती है। लेकिन सवाल यह है कि ईरान में यह नई व्यवस्था कितना स्थाई होगी।इसके साथ ही हिजाब के मुद्दे पर भारत में कट्टरपंथी ताकतों की जो सोच है उसमें कितना बदलाव आएगा।
ईरान में मॉरैलिटी पुलिस भंग
इस मॉरैलिटी पुलिस का ईरान में ऐसा विरोध शुरू हो गया था कि पूरी दुनिया में ईरान की महिलाओं के एंटी हिजाब प्रोटेस्ट की चर्चा होने लगी। और अब इससे ईरान के वो कट्टरपंथी भी झुकते हुए नजर आ रहे हैं जिन्होंने दो ढाई महीने के इस प्रोटेस्ट को बंदूक के जोर पर दबाने की पूरी कोशिश की। ईरान के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद जफर मोंटाजरी ने कहा है कि ईरान में Morality Police को भंग कर दिया गया है। Morality Police जब से बनी है इसका न्यायपालिका से कोई लेना देना नहीं रहा है। जिन्होंने इसे बनाया उन्होंने ही इसे भंग कर दिया है। ईरान की सरकार और संसद अनिवार्य हिजाब पहनने के कानून को रिव्यू कर रहे हैं। हालांकि ईरान के अटॉर्नी जनरल ने जो कहा, क्या वहां के कट्टरपंथी ऐसा करने देंगे। ये बड़ा सवाल है क्योंकि मॉरैलिटी पुलिस को खत्म करने को लेकर ईरान की तरफ से आधिकारिक ऐलान नहीं किया गया। इसके अलावा अगर Morality Police को खत्म भी कर दिया तो ये क्लियर नहीं है कि महिलाओं के पहनावे पर निगरानी नहीं होगी। यानी महिलाओं के पहनावे और व्यवहार पर पहले की तरह नजर बनी रहेगी। न्यायपालिका ये तय करेगी कि इस्लामिक नियमों और ड्रेस कोड के हिसाब से जो व्यवहार करना चाहिए जो पहनावा होना चाहिए, वही हो।
क्या वाकई ईरान में आएगा बदलाव
ये ईरान के कट्टरपंथियों का प्रोपैगैंडा भी हो सकता है। क्योंकि साल 2017 में ईरान में फैसला किया गया था हिजाब नहीं पहनने पर किसी की गिरफ्तारी नहीं होगी। लेकिन अभी तक सही ढंग से हिजाब नहीं पहनने पर गिरफ्तारियां हो रही हैं। यहां एक बार ये भी समझनी चाहिए कि ईरान की महिलाओं का सवाल सिर्फ ईरान में मॉरैलिटी पुलिस खत्म करने का नहीं है। बड़ा सवाल अनिवार्य तौर पर हिजाब पहनने के नियमों का है। ईरान में पहनावे को लेकर नियम ये है कि9 साल से बड़ी हर लड़की के लिए इस्लामिक नियमों के मुताबिक कपड़े पहनने अनिवार्य है। शरीर का कोई भी हिस्सा नहीं दिखना चाहिए। गैर मुस्लिम और विदेशी महिलाओं के लिए भी हिजाब पहनना जरूरी है। 1990 में सही ढंग से हिजाब या कपड़े नहीं पहनने पर सजा का प्रावधान लागू किया गया। 1995 में 60 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को हिजाब नहीं पहनने पर जेल भेजने का कानून बना। सार्वजनिक जगह पर हिजाब नहीं पहनने पर 10 दिन से लेकर 2 महीने की सजा हो सकती है या 50 हजार से लेकर 5 लाख रियाल तक का जुर्माना लग सकता है। धार्मिक नियमों का उल्लंघन होने पर 74 कोड़े मारने का भी प्रावधान हैयहां एक और बड़ी बात सोचने वाली है कि ईरान के कट्टरपंथियों ने एंटी हिजाब प्रोटेस्ट को दबाने के लिए जितना अत्याचार दो-ढाई महीने से किया है, वो कैसे अचानक एक दिन में कह देगी कि वो अब नरमी दिखाएगी। सितंबर में जब से ईरान में एंटी हिजाब प्रोटेस्ट शुरू हुआ है तब से
-450 प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है
-मरने वालों में 60 की उम्र 18 साल से कम थी
-मरने वालों में 9 बच्चियां और 29 औरते थीं
-18000 लोगों को गिरफ्तार किया गया
-5 प्रदर्शनकारियों को फांसी की सजा दी गई
-20 प्रदर्शनकारी मौत की सजा के आरोपों का सामना कर रहे हैं
-प्रदर्शन रोकने के लिए पुलिस और सेना लगाई
-कई शहरों में इंटरनेट बंद किया गया
क्या ईरान के कट्टरपंथियों में आएगा बदलाव
अगर अब ये मान भी लें कि ईरान अपनी मॉरैलिटी पुलिस को खत्म करने जा रही और ईरान के कट्टरपंथियों को अक्ल आ गई है तो फिर सवाल हमारे यहां के कट्टरपंथियों से हैं, कि उन्हें कब अक्ल आएगी। ईरान में महिलाएं खुद को हिजाब से आजाद कराने के लिए सड़क पर उतर कर प्रोटेस्ट कर रही हैं। सरकार और पुलिस के अत्याचार झेल रही हैं। हिजाब ना पहनना पड़े इसके लिए अब तक सैकड़ों प्रदर्शनकारी अपनी जान दे चुके हैं। जबकि भारत में हिजाब का नाम लेने भर से भूचाल आ जाता है। हिजाब जरूरी है का नारा देने वाले नेता खड़े हो जाते हैं। जो मुस्लिम लड़कियों को हिजाब के नाम पर भड़काते हैं। ईरान में मॉरैलिटी पुलिस खत्म करने की बात हो रही है और भारत में मुस्लिमों के हितैषी बनने का दावा करने वाले खुद मॉरैलिटी पुलिस बन रहे हैं और ये कह रहे हैं कि हिजाब तो जरूरी है।
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