सिर्फ 6 घंटे में बना दिया एक पूरा का पूरा रेलवे स्टेशन, ये तो सिर्फ जापान ही कर सकता है

6 घंटे के समय में आप क्या कुछ कर सकते हैं? ये प्रश्न सिर्फ आपसे नहीं, बल्कि पूरे देशवासियों से है। क्योंकि जापान ने 6 घंटे के भीतर एक पूरे का पूरा रेलवे स्टेशन बनाकर तैयार कर दिया। जी हां रात को अंतिम ट्रेन के गुजरने और सुबह पहली ट्रेन के आने के बीच के समय में यह कारनामा किया गया।

Japan-railway Station

जापान ने 6 घंटे में बना डाला रेलवे स्टेशन

जापान की टेक्नोलॉजी का कोई सानी नहीं है। जापान की Maglev बुलेट ट्रेन स्पीड का दूसरा नाम है। भारत में अहमदाबाद और मुंबई के बीच बन रही पहली बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए भी बुलेट ट्रेन जापान से ही आने वाली है। काम तेजी से करना हो तो जापान इसमें हमेशा खरा उतरता है। इसका एक उदाहरण ये है कि जापान ने सिर्फ 6 घंटे में एक पूरे का पूरा रेलवे स्टेशन बनाकर तैयार कर दिया है। जी हां, दुनिया में पहली बार यह कारनामा हुआ है। चलिए इस बारे में और विस्तार से जानते हैं।

कैसे हुआ ये कारनामा

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार वेस्ट जापान रेलवे कंपनी ने दुनिया में पहली बार 3D प्रिंटेड ट्रेन स्टेशन तैयार किया है। यह स्टेशन अरिडा सिटी में बनाया गया है, जिसे रेल इंफ्रास्ट्रक्चर इनोवेशन के मामले में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। नए हात्सुशिमा स्टेशन को 1948 में बने लकड़ी के रेलने स्टेशन स्ट्रक्चर को रिप्लेस करने के लिए बनाया गया। बड़ी बात ये है कि 6 घंटे के अंदर ही इस स्टेशन को असेंबल कर दिया गया।

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सिर्फ 530 यात्रियों का स्टेशन

इस स्टेशन की सेवाएं साल 2018 से ही ऑटोमेटिड हैं। यहां पर हर रोज करीब 530 यात्री आते-जाते हैं। एक मामूली ट्रेन लाइन पर मौजूद इस स्टेशन पर हर घंटे एक से तीन ट्रेनें पहुंचती हैं। नए हात्सुशिमा स्टेशन को बनाने के लिए रेलवे ने सेरेन्डिक्स नाम की कंस्ट्रक्शन फर्म की सेवाएं ली, जिसने प्रीफैब्रिकेटेड कंपोनेंट से इसे बनाया है।

सेरेन्डिक्स के अनुसार कंपोनेंट की प्रिंटिंग और कॉन्क्रीट रीइंफोर्समेंट में 7 दिन का समय लगा। यह सब काम अरिडा से करीब 804 किमी दूर क्यूशु आइलैंड के कुमामोटो प्रीफेक्चर में मौजूद एक फैक्टरी में किया गया। इसके बाद सभी टुकड़ों को सड़क मार्ग के जरिए ट्रांसपोर्ट किया गया और 24 मार्च को सभी हिस्से अरिडा पहुंचे।

सेरेन्डिक्स के को-फाउंडर कुनिहायरो हांडा ने बताया कि आमतौर पर निर्माण में कई महीनों का समय लग जाता है। ट्रेन हर रात नहीं चलती और ट्रेन लाइनों के पास सख्त नियमों के चलते निर्माण कार्य सिर्फ रात में ही हो सकता था, ताकि ट्रेन सेवा में किसी तरह की कोई समस्या न हो।

रातभर में बनकर तैयार हो गया स्टेशन

रात को जब ट्रक यहां पहुंचे तो दर्जनों स्थानीय लोग यहां इकट्ठा हो गए, ताकि वह इस ऐतिहासिक कार्य के गवाह बन सकें। जैसे ही रात 11.57 बजे आखिरी ट्रेन यहां से रवाना हुई, तुरंत कारीगर यहां पहुंच गए। क्रेन का इस्तेमाल करके, उन्होंने हर मोर्टार-आधारित प्रिंटेड हिस्से को उस जगह पर उतारा और पुराने स्टेशन से कुछ ही फीट की दूरी पर पूरी संरचना को असेंबल कर दिया। करीब 100 स्क्वायर फीट के पूरे स्ट्रक्चर को अगली सुबह 5:45 बजे पहली ट्रेन के आने से पहले पूरी तरह से तैयार कर दिया।

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पूरी बिल्डिंग को 6 घंटे की समय सीमा के अंदर पूरा कर लिया गया। लेकिन कुछ छोटे-मोटे काम बाद के लिए बचे रह गए। जैसे टिकट मशीन और IC कार्ड रीडर को इंस्टॉल करना। माना जा रहा है कि इसी साल जुलाई में यह स्टेशन यात्रियों के लिए खोल दिया जाएगा।

कंपनी के अनुसार पारंपरिक तरीके से निर्माण में कम से कम दो महीने का समय लगता और लागत भी लगभग दोगुनी होती। जापानी की लगातार बुजुर्ग होती जनसंख्या और कामगारों की कम होती संख्या के चलते उम्मीद है कि दूर-दराज के इलाकों में यह मॉडल स्टाफिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े चैलेंजेस का समाधान पेश करेगा।

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Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

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