हम क्या चाहते, आजादी...छीन के लेंगे, आजादी...जब US यूनिवर्सिटी में गूंजे JNU जैसे नारे

प्रदर्शनकारियों ने गाजा में युद्ध के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को जिम्मेदार ठहराया, जिसमें अब तक लगभग 33,000 फिलिस्तीनी मारे गए हैं।

अमेरिका में गाजा हमले पर विरोध-प्रदर्शन

JNU Like Azadi Slogans in USA: अरे हम क्या चाहते हैं, आजादी...फिलिस्तीन की आजादी... अरे छीन के लेंगे, आजादी... है हक हमारा, आजादी। आजादी के नारे का वाकया जेएनयू का नहीं बल्कि न्यूयॉर्क के कोलंबिया विश्वविद्यालय का था जहां छात्रों के एक समूह के बीच में खड़ी एक महिला प्रदर्शनकारी चिल्लाते हुए ऐसे नारे लगा रही थी। मामला था फिलिस्तीन समर्थक छात्रों के विरोध-प्रदर्शन का। विरोध की इस आग ने शीर्ष अमेरिकी विश्वविद्यालयों को अपनी चपेट में ले लिया है। ऐसे नारे अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों में इन दिनों लग रहे हैं।

शीर्ष अमेरिकी विश्वविद्यालयों में फैली विरोध-प्रदर्शन की आग

विरोध प्रदर्शन की आंच पांच राज्यों और एक दर्जन शीर्ष अमेरिकी विश्वविद्यालयों में फैल गई है जहां छात्रों ने तंबू गाड़ दिए हैं और परिसरों पर कब्जा कर लिया है। ये फिलिस्तीन समर्थक छात्र 7 अक्टूबर को हमास नरसंहार के बाद इजराइल द्वारा गाजा पर युद्ध का विरोध कर रहे हैं। विरोध प्रदर्शन कोलंबिया विश्वविद्यालय में शुरू हुआ और अन्य परिसरों में फैल गया। विश्वविद्यालय द्वारा पुलिस बुलाए जाने के बाद छात्रों ने एकजुटता से विरोध करना शुरू कर दिया।

छात्र प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई

न्यूयॉर्क पुलिस विभाग ने 18 अप्रैल को छात्र प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की और 100 से अधिक छात्रों को गिरफ्तार किया। 22 अप्रैल को येल विश्वविद्यालय ने भी पुलिस को बुलाया और लगभग 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया। बढ़ते तनाव और सुरक्षा चिंताओं के कारण, कोलंबिया विश्वविद्यालय को कक्षाओं को ऑनलाइन स्थानांतरित करने के लिए मजबूर होना पड़ा। कोलंबिया और बरनार्ड कॉलेज में NYPD की कार्रवाई और कनेक्टिकट के येल विश्वविद्यालय में गिरफ्तारियों के बाद आइवी लीग कॉलेजों सहित कई परिसरों में विरोध प्रदर्शन देखा गया।

End Of Feed