भारत के खिलाफ मुइज्जू का नया पैंतरा, चीन के जहाज को मालदीव में ठहरने की दी इजाजत

Maldives Allowed China Ship: मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने सत्ता में आने और पदभार संभालने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के तहत चीन की यात्रा की थी।

Muizzu

मुइज्जू का नया पैंतरा

Maldives Allowed China Ship: मालदीव के नए राष्ट्रपति मो. मुइज्जू लगातार भारतीय हितों के खिलाफ अपना रुख जारी रखते हुए चीन से नजदीकी बढ़ा रहे हैं। इस देश में चीन की दखलअंदाजी साफ दिखाई देने लगी है। अब अनुसंधान और सर्वेक्षण कार्य करने वाला चीन का एक जलपोत माले सरकार की अनुमति मिलने के बाद ईंधन भरने के लिए मालदीव के एक बंदरगाह पर लंगर डालेगा। मालदीव के विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन का अनुसंधान पोत शियांग यांग होंग 3 मालदीव के जलक्षेत्र में रहते हुए कोई अनुसंधान कार्य नहीं करेगा लेकिन भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि भारत जहाज की आवाजाही पर कड़ी नजर रख रहा है।

भारत से संबंधों में तनाव

चीनी जहाज को अनुमति भारत और मालदीव के बीच संबंधों में तनाव के बीच दी गई है। मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने सत्ता में आने और पदभार संभालने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा के तहत चीन की यात्रा की थी। परंपरागत रूप से, मालदीव के राष्ट्रपति अपनी पहली विदेश यात्रा के तहत भारत की यात्रा करते रहे हैं। मालदीव के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि चीन की सरकार ने पोर्ट कॉल के लिए आवश्यक मंजूरी के वास्ते राजनयिक अनुरोध किया था। ‘पोर्ट कॉल’ का अर्थ है- यात्रा के क्रम में किसी जहाज का बंदरगाह पर कुछ देर रुकना।

8 फरवरी को माले में लंडर डालेगा चीनी जहाज

बयान में यह भी कहा गया कि मालदीव हमेशा से मित्र देशों के जहाजों का स्वागत करने वाला गंतव्य रहा है और शांतिपूर्ण उद्देश्यों से असैन्य और सैन्य जलपोतों की मेजबानी करता रहेगा। इसमें कहा गया, इस तरह के पोर्ट कॉल न केवल मालदीव और उसके साझेदार देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों का विस्तार करते हैं, बल्कि मित्रवत देशों से आने वाले जहाजों का मालदीव के लोगों द्वारा स्वागत करने की सदियों पुरानी परंपरा को भी प्रदर्शित करते हैं। जहाजों की आवाजाही पर नजर रखने वाली निजी वेबसाइट मरीन ट्रैफिक के अनुसार आठ साल पुराना चीनी जहाज आठ फरवरी को माले के एक बंदरगाह पर लंगर डाल सकता है।

मालदीव लक्षद्वीप के मिनिकॉय द्वीप से बमुश्किल 70 समुद्री मील और मुख्य भूमि के पश्चिमी तट से 300 समुद्री मील की दूरी पर है। यह हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) के माध्यम से गुजरने वाले वाणिज्यिक समुद्री मार्गों का केंद्र होने के कारण रणनीतिक दृष्टि से अहम है।

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