Mata Hari: दुनिया की सबसे खूबसूरत जासूस थी माता हारी, ऐसे हुआ था दर्दनाक अंत
मारगुएरेथा जेले से माता हारी बनी इस महिला जासूस ने 1903 से पेरिस में एक नर्तकी के रूप में काम करना शुरू किया था। इसी दौरान अपना मंच का नाम माता हारी रख लिया था।
माता हारी को जर्मनी के लिए जासूसी करने के आरोप में मौत की सजा मिली थी (Encylopedia Britanica)
असली नाम था मारगुएरेथा गेरट्रुएडा जेले
माता हारी का जन्म 7 अगस्त, 1876 को हुआ था और मृत्युदंड पाने तक 15 अक्टूबर, 1917 तक जीवित रहीं। उनका असली नाम मारगुएरेथा गेरट्रुएडा जेले था। मारगुएरेथा जेले ने 1903 से पेरिस में एक नर्तकी के रूप में काम करना शुरू किया था। तब उन्होंने अपना मंच का नाम माता हारी रख लिया था। उनका दावा था कि वह एक पवित्र भारतीय मंदिर में पैदा हुई थीं और एक पुजारी ने उन्हें प्राचीन भारतीय नृत्य सिखाया गया था और उन्होंने ही ये नाम दिया था, जिसका मतलब है 'भोर की आंख' (eye of the dawn)।
जासूसी करने के आरोप में मौत की सजा
माता हारी को जर्मनी के लिए जासूसी करने के आरोप में मौत की सजा मिली थी। दरअसल, दुनिया कभी जान ही नहीं पाई कि वह फ्रेंच जासूस थी या जर्मन। उनके कई प्रभावशाली व्यक्तियों से संबंध रहे थे। पहले विश्व युद्ध के समय तक वह पेरिस में एक डांसर और स्ट्रिपर के रूप में मशहूर हो गई थीं। उनका कार्यक्रम देखने कई देशों के लोग और सेना के बड़े अधिकारी पहुंचा करते थे। इसी दौरान वह गुप्त जानकारियां एक से दूसरे पक्ष को देने लगीं। पेरिस में उनकी मोहक अदाओं से हर कोई मंत्रमुग्ध था जिसका उन्होंने भरपूर फायदा भी उठाया। तब उनका नाम लोगों की जुबान पर चढ़ गया। इस दौरान माता हारी के कई शीर्ष सैन्य अधिकारियों, राजनेताओं और प्रभावशाली लोगों से संबंध रहे।
बन गई थीं डबल एजेंट
माता हारी की शादी नीदरलैंड की शाही सेना के एक अधिकारी से हुई थी, जो इंडोनेशिया में तैनात था। दोनों तत्कालीन डच ईस्ट इंडीज के द्वीप जावा में रह रहे थे। इंडोनेशिया में ही वो एक डांस कंपनी में शामिल हो गईं और अपना नाम बदलकर माता हारी कर लिया। नीदरलैंड्स लौटने के बाद 1907 में माता हरी ने अपने पति को तलाक दे दिया और पेशेवर डांसर के रूप में पेरिस चली गईं। यहां माता हारी एक साल तक एक फ्रेंच राजनेता का खासमखास बनकर रहीं। इसी दौरान फ्रेंच सरकार ने माता हारी को जासूसी करने के लिए राजी कर लिया। उन्हें अच्छी खासी रकम दी गई। पहले विश्वयुद्ध के समय फ्रेंच सरकार ने माता हारी के जरिए जर्मन मिलिट्री अफसरों की कई महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल की थीं। कहा जाता है उसने फ्रांस सरकार की भी जानकारी जर्मनी सरकार को देनी शुरू कर दी। यह बात फ्रांस के खुफिया विभाग को पता चल गई थी।
फ्रांसीसी सैनिकों ने गिरफ्तार किया
उन्हें प्रथम विश्व युद्ध के दौरान फ्रांसीसी सैनिकों ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्हें जर्मनी के लिए जासूसी करने के आरोप में मौत की सजा दी गई थी। उनकी मौत के बाद उनका नाम माता हारी जासूसी का पर्याय बन गया। बहुत से लोगों ने माता हारी का नाम तो जानते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि उनकी कहानी के कौन से हिस्से असली हैं और कौन से काल्पनिक। वह कई देशों की यात्रा कर चुकी थीं और सात से अधिक भाषाओं में धाराप्रवाह थीं। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान माता हारी के आकर्षण और रोमांटिक कारनामों ने उन्हें पूरी दुनिया में मशहूर कर दिया था।
माता हारी से जुड़ी 10 बातें1. माता हारी ने मूल रूप से किंडरगार्टन टीचर बनने के लिए पढ़ाई की थी।
2. माता हारी ने 19 साल की उम्र में 1895 में कैप्टन रुडोल्फ मैकलियोड से शादी की।
3. 1905 में माता हारी ने विदेशी नृत्य की ओर रुख किया और पेरिस में रातों-रात कामयाब हो गईं। उन्होंने एक जावानीस राजकुमारी होने का नाटक किया और अपने पतले शरीर और चुलबुले नृत्य से अपने दर्शकों को अपनी ओर मोहित कर लिया।
4. माता हारी और कैप्टन मैकलियोड का विवाह सफल नहीं रहा और 1906 में उनका तलाक हो गया।
5. माता हारी ने मार्च 1915 में अपना आखिरी विदेशी नृत्य पेश किया, जिसके बाद वह एक और अधिक मशहूर और लोकप्रिय हो गईं।
6. प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) के दौरान माता हारी की यूरोपीय देशों के बीच नियमित रूप से यात्रा ने उन्हें संदेह के दायरे में ला दिया। 1916 में उन्हें लंदन में गिरफ्तार किया गया और उनसे पूछताछ की गई और एक फ्रांसीसी जासूस होने की बात स्वीकार की गई। यह साफ नहीं था कि वह झूठ बोल रही थी या सच कह रही थी।
7. 1917 में जर्मन सेना ने एक जर्मन जासूस को कोड-नाम H-21 दिया था। फ्रांसीसी खुफिया ने माना कि यह जासूस माता हरी रही होगी और इसी आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
8. उसे सेंट-लज़ारे जेल में डाल दिया गया था।
9. 25 जुलाई 1917 को,माता हारी पर एक सैन्य अदालत में मुकदमा चलाया गया और फायरिंग दस्ते द्वारा फांसी की सजा सुनाई गई। उसी साल 15 अक्टूबर को फ्रांसीसी फायरिंग दस्ते द्वारा उसे मौत के घाट उतार दिया गया। तब वह 41 वर्ष की थीं।
10. उनकी मौत के बाद माता हरि के शरीर का उपयोग चिकित्सा अनुसंधान के लिए किया गया था।
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