कौन हैं नोबेल प्राइज विनर मोहम्मद यूनुस? जिन्हें कहा जाता है 'गरीबों का बैंकर', अब संभालेंगे बांग्लादेश की कमान

Muhammad Yunus: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस का जन्म 1940 में भारत के चटगांव में हुआ था, जो अब बांग्लादेश का एक प्रमुख बंदरगाह शहर है। उन्होंने अमेरिका के वेंडरबिल्ट विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की और बांग्लादेश लौटने से पहले कुछ समय तक वहां पढ़ाया था।

Muhammad Yunus

मोहम्मद यूनुस।

Who is Muhammad Yunus: बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन हो गया है। नोबेल प्राइज विनर मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुखिया की कमान संभाल ली है। गुरुवार को राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने उन्हें शपथ दिलाई। मोहम्मद युनूस का सत्ता संभालना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का कटु आलोचक माना जाता है। एक बार तो हसीना ने यूनुस को 'खून चूसने वाला' तक कह दिया था।

शेख हसीना के शासनकाल के दौरान मोहम्मद यूनुस गबन के आरोपों का सामना भी कर चुके हैं। उन्होंने शेख हसीना के इस्तीफे और देश छोड़कर जाने को बांग्लादेश का दूसरा मुक्ति दिवस बताया है। आइए जानते हैं प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस के बारे में...

कहा जाता है गरीब लोगों का बैंकर

मोहम्मद यूनुस को सबसे गरीब लोगों का बैंकर भी कहा जाता है। पेशे से अर्थशास्त्री और बैंकर यूनुस को गरीब लोगों, विशेष रूप से महिलाओं की मदद के लिए माइक्रोक्रेडिट के उपयोग में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यूनुस ने 1983 में ग्रामीण बैंक की स्थापना की ताकि उन उद्यमियों को छोटे ऋण उपलब्ध कराए जा सकें जो सामान्यतः उन्हें प्राप्त करने के योग्य नहीं होते। लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में बैंक की सफलता ने अन्य देशों में भी इसी तरह के लघु वित्त पोषण के प्रयासों को बढ़ावा दिया। यूनुस ने पहले घोषणा की थी कि वह 2007 में एक राजनीतिक पार्टी बनाएंगे, हालांकि उन्होंने अपनी योजना पर अमल नहीं किया।

2008 में गबन के आरोपों में घिरे

यूनुस को 2008 में हसीना सरकार की कार्रवाई का सामना करना पड़ा था, जब उनके प्रशासन ने यूनुस के खिलाफ कई जांच शुरू कीं। जांच के दौरान हसीना ने यूनुस पर ग्रामीण बैंक के प्रमुख के तौर पर गरीब ग्रामीण महिलाओं से ऋण वसूलने के लिए बल और अन्य तरीकों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। यूनुस ने आरोपों से इनकार किया था। हसीना की सरकार ने 2011 में बैंक की गतिविधियों की समीक्षा शुरू की और यूनुस को सरकारी सेवानिवृत्ति नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में प्रबंध निदेशक के पद से हटा दिया गया। 2013 में उन पर बिना सरकारी अनुमति के पैसे लेने के आरोप में मुकदमा चलाया गया, जिसमें उनका नोबेल पुरस्कार और एक किताब से रॉयल्टी भी शामिल थी। इस साल की शुरुआत में बांग्लादेश में एक विशेष न्यायाधीश की अदालत ने यूनुस और 13 अन्य लोगों पर 20 लाख अमेरिकी डॉलर के गबन के मामले में आरोप तय किए थे। यूनुस ने खुद को निर्दोष बताया और फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।

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प्रांजुल श्रीवास्तव author

मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें

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