Nepal New President: नेपाल से चीन OUT और भारत की रणनीति जीत! राम चंद्र पौडेल के राष्ट्रपति बनने से समीकरण India के पक्ष में
Nepal New President: नेपाल में नए राष्ट्रपति को चुनाव हो चुका है। इस चुनाव में केपी शर्मा ओली की पार्टी को जहां बड़ी हार मिली है, वहीं नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राम चंद्र पौडेल को भारी जीत मिली है। इस जीत को भारत की जीत से जोड़ कर देखा जा रहा है।
नेपाल के नए राष्ट्रपति बने राम चंद्र पौडेल
Nepal New President: नेपाल में सत्ता को लेकर पिछले कई सालों से उठापटक जारी है। ज्यादातर में चीन का हाथ बताया जाता रहा है, लेकिन अब जो खेल हुआ है, उसमें भारत की बड़ी जीत मानी जा रही है। नेपाल के नए राष्ट्रपति चुनाव में राम चंद्र पौड़ेल की जीत हुई, जो भारत के लिए काफी अच्छा संकेत माना जा रहा है, वहीं इनकी जीत से चीन की नेपाल में हालत खराब होने वाली है।
कौन हैं राम चंद्र पौडेल
नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता के दौर में गुरुवार (9 मार्च) को राम चंद्र पौडेल ने राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की है। इन्हें 214 सांसदों और 352 प्रांतीय विधानसभा सदस्यों के वोट मिले। 78 वर्षीय पौडेल ने अपने प्रतिद्वंद्वी सुबास चंद्र नेबमांग पर एक आसान जीत हासिल की है। राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने से पहले, राम चंद्र पौडेल ने नेपाल के उप प्रधान मंत्री, कैबिनेट मंत्री और अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है। उन्होंने अपने जीवन के कई साल देश में लोकतंत्र के लिए लड़ते हुए बिताए हैं। पौडेल 16 साल की उम्र में राजनीति में आग गए थे। पौडेल को 1980 में नेपाली कांग्रेस तन्हु जिला समिति का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था, 2005 में महासचिव, 2007 में उपाध्यक्ष और 2015 में पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष बने।
राष्ट्रपति की महत्वपूर्ण भूमिका
नेपाल की सत्ता में राष्ट्रपति की महत्वपूर्ण भूमिका है। नेपाल में 2008 में गणतंत्र बहाल होने के बाद से यह तीसरा राष्ट्रपति चुनाव है। वर्तमान राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी का कार्यकाल 12 मार्च को समाप्त होगा। संविधान के तहत नेपाल में राष्ट्रपति को कई शक्तियां दी गईं हैं।
भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण
राम चंद्र पौडेल की जीत भारत के लिए काफी अच्छा संकेत माना जा रहा है। भारत की रणनीतिक जीत कही जा रही है। दरअसल पौडेल नेपाली कांग्रेस के नेता हैं, जिसका भारत के साथ संबंध काफी अच्छा रहा है। साथ ही पीएम की कुर्सी के लिए पुष्प कमल दहल प्रचंड और केपी शर्मा ओली ने हाथ मिलाकर सत्ता पर काब्जा जमा लिया था। प्रचंड, ओली के सहयोग से पीएम बने थे, दोनों चीन के हितैषी रहे हैं। लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में प्रचंड ने ओली का साथ छोड़ दिया और पौडेल को समर्थन दे दिया। मतलब चीनी खेमे में सेंध लग गई और भारत का हितैषी राष्ट्रपति चुनाव में जीत गया। इस जीत से अब साफ है कि चीन को नेपाल में रणनीतिक हार झेलनी पड़ी है तो वहीं भारत को रणनीतिक जीत मिली है।
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शिशुपाल कुमार author
पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र...और देखें
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